कोविड-19 (Covid-19) से बचने के लिए फेस मास्क और बार-बार हाथ धोना ही बचाव है। ऐसे में हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी की स्टडी में सामने आया है कि कोरोना का जानलेवा वायरस सामान्य तापमान पर कांच, नोट, मास्क, लकड़ी, कपड़े जैसी विभिन्न सतहों पर 4 से 7 दिन तक बना रह सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह वायरस अनुकूल वातावरण मिलने पर अधिक समय तक जिंदा रहता है। इसके व्यवहार का पता लगाने के लिए परीक्षण किया गया कि यह कमरे के तापमान पर अलग-अलग सतहों पर कितने समय जीवित रह सकता है। इससे पता चला कि यह प्रिंटिंग और टिश्यू पेपर पर तीन घंटे से भी कम समय तक रहता है। लकड़ी और कपड़ों पर अगले दिन मर जाता है। वहीं ग्लास और बैकनोट पर चौथे दिन तक जिंदा रहता है, जबकि स्टील और प्लास्टिक की सतह पर चार से सात दिन तक चिपका रह सकता है।
मास्क पर सात दिन बाद भी पाया गया संक्रमणशोधकर्ताओं का कहना है कि आश्चर्यजनक तरीके से सर्जिकल मास्क पर यह सात दिन बाद भी पाया गया। इसीलिए जरूरी है कि मास्क पहनकर उसे न छुएं। यदि मास्क छूते हैं तो हाथ संक्रमित कर बैठेंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि मुंह, चेहरे या नाक को हाथ धोकरर ही छुएं। शोधकर्ताओं ने यह भी जोड़ा है कि बाहर से सामान घर पर लाते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए। उनका कहना है कि शोपिंग कर लाए गए बैग में यदि खराब होने वाली चीज नहीं है तो उसे खाली करने से पहले एक दिन के लिए छोड़ दें। इससे बहुत हद तक वायरस से बचा जा सकेगा।
बार-बार हाथ धोएं, मरेगा वायरसहॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी की स्टडी बताती है कि कोरोना वायरस को आसानी से खत्म कर सकते हैं। यह वायरस घर में इस्तेमाल होने वाले कीटाणुनाशकों, ब्लीच या साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने से आसानी से मर जाएगा।
N95 मास्क वायरस से सुरक्षा में ज्यादा मददगारविशेषज्ञों की मानें तो N95 मास्क बैक्टीरिया और वायरस से सुरक्षा देने में काफी मददगार है और इसलिए इस नए करॉना वायरस से सुरक्षित रखने में भी N95 मास्क मदद कर सकता है। हालांकि बाकी के साधारण या सर्जिकल मास्क वायरस के ट्रांसमिशन को नहीं रोक सकते। यही वजह है कि N95 मास्क की बिक्री काफी तेज हो गई है और कई जगहों पर तो मार्केट में इस मास्क की शॉर्टेज भी हो गई है। N95 मास्क में 6 लेयर होते हैं जो माइक्रो बैक्टीरिया और वायरस को अंदर आने से रोकता है। हालांकि अगर आप हेल्दी हैं तो आपको मास्क पहनने की जरूरत सिर्फ तभी है जब आप किसी बीमार व्यक्ति की देखरेख में लगे हैं, खासकर अगर वह करॉना वायरस से पीड़ित है।