कोरोना के बढ़ते आंकड़े बेहद डराने वाले हैं क्योंकि हर दिन इसमें लाखों का इजाफा हो रहा हैं जिसके चलते कोरोना संक्रमितो का आंकड़ा 1।90 करोड़ को पार कर चुका हैं। हांलाकि ठीक होने वालों का आंकड़ा भी बहुत बड़ा हैं। ठीक होने बाद मरीजों पर की जा रही रिसर्च में इसको लेकर कई खुलासे हो रहे हैं। ऐसी ही कोरोना को लेकर एक डराने वाली रिपोर्ट सामने आई हैं जिसके मुताबिक, वुहान में कोरोना से संक्रमित होकर ठीक होने वाले जितने भी मरीज हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों के फेफड़ों की हालत बहुत बुरी है। सिर्फ यही नहीं, ठीक हो चुके मरीजों में से पांच फीसदी को तो दोबारा संक्रमण हो गया और वो अस्पताल में भर्ती हैं। वुहान यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक सर्वे से इस बात का खुलासा हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वुहान यूनिवर्सिटी की झॉन्गनैन अस्पताल में हॉस्पिटल्स इंटेंटिव केयर यूनिट्स के निदेशक पेंग झियोंग के नेतृत्व में एक टीम ठीक हो चुके 100 मरीजों पर अप्रैल से ही नजर रख रही थी। हमेशा उनके सेहत की जांच होती थी और टीम के सदस्य उन मरीजों के घर जाकर भी उनका हालचाल लेते थे।
सर्वे के मुताबिक, मरीजों की औसत उम्र 59 साल है। यह सर्वे एक साल तक चलने वाला है, जिसका पहला चरण पिछले महीने की खत्म हुआ है। इस चरण के परिणामों के मुताबिक, ठीक हो चुके मरीजों में 90 फीसदी के फेफड़े लगभग खराब हो चुके हैं। उनके फेफड़ों का वेंटिलेशन और गैस एक्सचेंज फंक्शन काम नहीं कर रहा है यानी ये लोग कोरोना से अब तक पूरी तरह ठीक नहीं हो पाए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ मरीजों को ठीक हुए तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन अब भी उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे ही रहना पड़ रहा है। सिर्फ यही नहीं, 100 में से 10 मरीजों के तो शरीर से एंटीबॉडी ही खत्म हो चुकी हैं, जो कोरोना के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं।
सर्वे कर रही टीम ने ठीक हुए मरीजों के साथ एक छह मिनट का वॉक टेस्ट भी किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि मरीज सिर्फ 400 मीटर ही चल पा रहे हैं, वो भी बड़ी मुश्किल से जबकि एक स्वस्थ इतने समय में 500 मीटर तक चल लेता है। सर्वे के नतीजों के मुताबिक, पांच फीसदी मरीज कोरोना न्यूक्लिक एसिड टेस्ट में निगेटिव हैं जबकि इम्यूनोग्लोब्यूलिन एम टेस्ट में पॉजिटिव हैं। इसका मतलब ये है कि उन्हें फिर से क्वारंटीन होना पड़ेगा।
सर्वे के मुताबिक, ठीक हुए मरीजों के शरीर में वायरस से लड़ने वाली बी-सेल्स की संख्या में भी कमी देखी गई है। हालांकि अब तक शोधकर्ताओं को ये पता नहीं चल पाया है कि वो लोग दोबारा कोरोना से संक्रमित हुए हैं या पहले ही बीमारी ही उन्हें परेशान कर रही है। हॉस्पिटल्स इंटेंटिव केयर यूनिट्स के निदेशक पेंग झियोंग का कहना है कि अभी ऐसे लोगों को पूरी तरह ठीक होने में समय लग सकता है।