मरीज के बीमार होने से रूका था ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रायल, जानिए इसके बारे में सबकुछ

देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बेकाबू है। कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आने के बाद अब देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 48 लाख 45 हजार के पार पहुंच गई है। जबकि कोविड (Covid-19) की चपेट में आकर 78 हजार 836 मरीजों की मौत हो चुकी है। कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। पिछले 24 घंटे की रिपोर्ट को देखें तो देश में कोरोना (Corona) के करीब 94 हजार नए मामले सामने आए हैं, जबकि 1140 लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में सभी को वैक्सीन का इन्तजार हैं ताकि इस बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाई जा सकें। सभी को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन से उम्मीदें हैं। हांलाकि अभी एक मरीज के बीमार होने से इसके ट्रायल को रोक दिया गया था।

बताया जा रहा हैं कि वैक्सीन का ट्रायल फिर से शुरू किया जाएगा। इससे पहले ब्रिटेन के एक मरीज को हुए कथित साइड-इफेक्ट के बाद इसका ट्रायल रोक दिया गया था। गुरुवार को एस्ट्राजेनेका ने कहा कि स्टडी रोकने के बाद जांच की गई कि क्या वैक्सीन की वजह से साइड-इफेक्ट हुआ है, लेकिन शनिवार को यूनिवर्सिटी ने कहा कि इसे जारी रखना सुरक्षित माना गया है। स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने ट्रायल फिर से शुरू होने की खबर का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'ट्रायल को रोकने का फैसला दिखाता है कि हमारे लिए सुरक्षा प्राथमिकता है। सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद हमारे वैज्ञानिक जल्द प्रभावी वैक्सीन लाने पर काम करेंगे।'

यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा कि ऐसी संभावना पहले से थी कि इतने बड़े ट्रायल में 'भाग लेने वाले कुछ लोगों की तबीयत बिगड़ सकती है।' यूनिवर्सिटी ने ये भी कहा कि स्वतंत्र सुरक्षा समीक्षा समिति और यूके नियामक, मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी की सिफारिशों के बाद स्टडी फिर से शुरू हो सकती है।

गोपनीयता से जुड़े कारणों के चलते रोगी की तबीयत के बारे में जानकारी नहीं दी जाएगी, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक यूके ट्रायल में एक वॉलंटियर को ट्रांसवर्स माइलाइटिस हुआ है, जो एक इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम है जो रीढ़ की हड्डी पर असर डालता है और वायरल इंफेक्शन का कारण बन सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनियाभर में करीब 180 वैक्सीन कैंडिडेट के परीक्षण चल रहे हैं, लेकिन किसी ने भी क्लीनिकल ट्रायल पूरा नहीं किया है। इस वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का परीक्षण पूरा हो गया है और काफी उम्मीदें हैं कि ये बाजार में आने वाली वैक्सीन हो सकती है।

हाल के हफ्तों में ये तीसरे चरण में पहुंची है, जिसमें ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के करीब 30 हजार लोग हिस्सा ले रहे हैं। तीसरे चरण के ट्रायल में अक्सर हजारों लोग हिस्सा लेते हैं और ये सालों तक चल सकता है। सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वालेंस ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ऑक्सफोर्ड परीक्षण में कुछ भी असामान्य नहीं हुआ।