कोरोनावायरस में फेस मास्क की उपयोगिता, अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण बड़ी चिंता बनता हुआ नजर आ रहा हैं। अब तक दुनियाभर में 82 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में सभी सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजीन मेंटेन करते हुए मास्क के उपयोग पर सलाह दे रहे हैं ताकि बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाई जा सके। ऐसे में मास्क को हमेशा ही इससे बचाव के लिए जरूरी माना गया हैं। हाल ही में हुए नए शोध अध्ययन में बताया जा रहा है कि चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा कम होता है, लेकिन बार-बार खांसने से उसकी फिल्टर करने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर मॉडलों का प्रयोग कर यह अध्ययन किया है।

साइप्रस में यूनिवर्सिटी ऑफ निकोसिया के शोधकर्ताओं ने फेस मास्क से संबंधित अध्ययन के बाद यह नई जानकारी दी है। इस अध्ययन में स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए एयर-फिल्टर्स और फेस शील्ड से लैस हेल्मेट समेत निजी सुरक्षा उपकरण पहनने की सिफारिश की गई है।

साइप्रस में यूनिवर्सिटी ऑफ निकोसिया के तालिब दिबुक और दिमित्रिस द्रिकाकिस समेत वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर मॉडलों का इस्तेमाल कर यह पता लगाया कि जब मास्क पहनने वाला कोई शख्स बार-बार खांसता है तो खांसने से गिरने वाली छोटी-छोटी बूंदों के प्रवाह की क्या प्रवृत्ति होती है।

इससे पहले एक अध्ययन में पाया गया कि जब बिना मास्क पहने व्यक्ति खांसता है तो उसकी लार की बूंदें पांच सेकंडों में 18 फुट तक की दूरी तय कर सकती हैं। पत्रिका ‘फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स’ में प्रकाशित इस अध्ययन में चेहरे पर लगाए जाने वाले मास्क की फिल्टर की क्षमता का अध्ययन किया गया।

अध्ययन के अनुसार मास्क से हवा में लार की बूंदों के फैलने का खतरा कम हो सकता है लेकिन बार-बार खांसने से उसकी क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यहां तक कि मास्क पहनने पर भी लार की बूंदें कुछ दूरी तक गिर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मास्क न पहनने पर लार की बूंदों के गिरने की दूरी दोगुनी हो जाती है।