जानिए क्या होती है PPE किट और क्यों कोरोना के इलाज में है बेहद जरुरी

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी 100 के पार पहुंच चुका है। दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस संक्रमण अभी उतने गंभीर रूप में नहीं फैला है। कोरोना वायरस से मुकाबले में काफी दिनों से पीपीई किट की बड़ी चर्चा हो रही है और कुछ दिनों से तो PPE Kits पर राजनीति भी होने लगी है। तो आइए जानते हैं कि क्या होता है पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स आखिर है क्या।

PPE का पूरा नाम (Personal Protection Equipments) पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट होता है। पीपीई किट कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए एक प्रोटेक्शन किट होता है जिससे उन्हें कोरोना वायरस का खतरा कम हो। इस किट में चार से पांच चीजें रहती है जिसका इस्तेमाल मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों को करना होता है। इस किट में मास्क, आई शील्ड, शू कवर, गाउन, ग्लव्स होते हैं जिसे पहन कर डॉक्टर कोरोना मरीजों का इलाज करते हैं। अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग तरह के पीपीई किट्स हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर मास्क, ग्लोव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शू कवर, रबर बूट्स इसमें गिने जा सकते हैं। इनमें से बहुत कुछ पहने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ हम-आप आए दिन देखते रहते हैं। इन सारी चीजों का मकसद एक ही है- मरीज से वायरस इलाज कर रहे लोगों में ना फैल जाए। भारत में फिलहाल पीपीई किट का काफी कमी हो गई है जिसके कारण कोरोना मरीजों के टेस्टिंग भी धीमी पड़ गई है।

कोरोना के संक्रमण से डॉक्टरों को अपने आप को बचाने के लिए उन्हें इस तरह की चीजें पहननी पड़ती है इसके बाद ही बिना सुरक्षित तरीके से कोरोना मरीजों का इलाज कर सकते हैं। आपको बता दें कि भारत में तीन कोरोना मरीजों से शुरू हुई इस महामारी से अब संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 5000 के के आस पास तक पहुंच गई है।

क्या-क्या होता है किट में

- पीपीई किट में फेस मास्क होता है जो डॉक्टर चेहरे पर पहनते हैं जिससे उनका पूरा चेहरा ढका रहता है और सुरक्षित रहता है।

- आई शील्ड होता है जो आंखों को ढंके रखता है ये ट्रांसपेरेंट रहता है जिससे डॉक्टर सब कुछ देख सकता है लेकिन उनकी आंखें वायरस के खतरे से सुरक्षित रहती है।

- शू कवर इससे डॉक्टर अपने जूते कवर करके रखते हैं चूंकि ये वारस काफी खतरनाक होता है किसी भी तरह से अगर आपसे इसका संपर्क हो गया तो फिर आप इसके संक्रमण से नहीं बच पाएंगे इसलिए डॉक्टर सर से लेकर पांव तक अपने आप को ढंक कर रखते हैं।

- गाउन भी होता है जिसे मरीजों के इलाज के दौरान डॉक्टर्स पहनते हैं और जो चारों तरफ से पैक होता है शरीर का कोई भी हिस्सा विजिबल नहीं होता है। इसके अलावा ग्लव्स भी होता है जिसे डॉक्टर अपने हाथों में पहनते हैं।

PPE कितने तरह के होते हैं

आई एंड फेस प्रोटेक्शन (आंखों व चेहरे की सुरक्षा) - इसमें खास तौर पर आंखों की सुरक्षा के लिए किट होते हैं। इसे इस तरह से बनाया जाता है कि मरीजों के इलाज के दौरान किसी भी प्रकार से केमिकल या वायरस का खतरा डॉक्टर के चेहरे व आंखों तक ना जा पाए।

हैंड प्रोटेक्शन (हाथों की सुरक्षा)- रसायन द्वारा सुरक्षित ग्लव्स (दस्ताने) होते हैं जो खास तर पर रिसर्च लैब में या फिर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में पहनते हैं।

बॉडी प्रोटेक्शन (शरीर की सुरक्षा)- ये कॉटन के या फिर पॉली ब्लेड के होते हैं जिसमें ना वायरस केमिकल का ज्यादा खतरा रहता है और ना ही आग लगने का खतरा होता है।

रेस्पिरेटरी प्रोटेक्शन (सांसों संबंधी सुरक्षा)- हवा के द्वारा वायरस का संक्रमण ना हो इसके लिए रेस्पिरेटरी प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है।

PPE किट का इस्तेमाल कब करना चाहिए

जब खून, या फिर सांस संबंधी बीमारी का इलाज कर रहे हों तो डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ को और हेल्थकेयर वर्कर को पीपीई किट का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। कोरोना महामारी के दौर में WHO ने भी अपनी गाइडलाइंस में ऐसे लोगों को खास तौर पर पीपीई किट का इस्तेमाल करने को कहा है। कोरोना चूंकि ऐसा वायरस है जो संक्रामक बीमारी फैलाता है इसलिए इसके मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों को भी इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है।

पीपीई पर क्यों चर्चा छिड़ी है

केंद्र को इस समय 50,000 पीपीई किट की जरूरत है। केंद्र के पास इस वक्त केवल 20,000 पीपीई किट है जो इस महामारी के दौर में पर्याप्त नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट है और ऐसा कुछ नहीं है कि पीपीई किट की किल्लत पड़ गई है। आगे आने वाले मुश्किल घड़ी में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए इसलिए हम स्टॉक में पीपीई किट की व्यवस्था पहले से कर लेना चाहते हैं जबकि वर्तमान में अभी ऐसी कोई दिक्कत की बात नहीं है। मंत्रालय ने बताया कि भारत में कुछ कंपनियों ने पीपीई किट के निर्माण, एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का जिम्मा उठाया है। एक कंपनी ने 11,500 किट हमें दिए हैं जबकि अन्य ने 7500 और 300 किट केंद्र को उपलब्ध कराए हैं।

शुरू हुई राजनीति

देश में पीपीई किट पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। सोशल मीडिया पर सरकारी प्रयासों से नाखुश लोग कहते हुए मिल जाएंगे कि इस काम के बदले अगर सरकार पीपीई किट्स खरीद लेती तो ज्यादा अच्छा होता। काफी लोग सरकार चला रहे बड़े नेताओं से सुनना चाहते हैं कि देश में पीपीई किट्स के इंतजाम का क्या हाल है क्योंकि कई जगहों से डॉक्टरों ने पीपीई किट्स की कमी की शिकायत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कोरोना पर बनाए 10 ग्रुप और 1 टास्क फोर्स के प्रमुखों से बैठक में साफ-साफ कहा कि देश में पीपीई बनाने, पहुंचाने और उसे मेडिकल स्टाफ को मुहैया कराने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने सोमवार को कैबिनेट मीटिंग में फैसला करके अध्यादेश के जरिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) दो साल के लिए सस्पेंड करने का फैसला किया तो कई विपक्षी सांसद कहने लगे कि इस फंड से वो अपने इलाके के अस्पतालों में पीपीई किट खरीद रहे थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने सांसद फंड से ही अपने संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में टेस्ट किट और पीपीई किट का इंतजाम किया है।