शोध में खुलासा, सांस लेने और बोलने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस (Coronavirus, Covid-19) के मामले पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे है। इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया में 14,29,437 लोग संक्रमित हो गए है, वहीं, इस वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 82,074 तक पहुंच गया है। फिलहाल इस वायरस की अभी तक कोई दवाई नहीं बनी है। इस वायरस से बचाव ही अभी इसका एक मात्र इलाज है। ऐसे में इस वायरस को लेकर अलग-अलग तरह के शोध हो रहे है। कोरोना वायरस के आम लक्षणों में सर्दी, खांसी, बुखार, सांस में दिक्कत और गले में खराश जैसी समस्याएं है। इन लक्षणों के अलावा सांस लेने और बोलने से कोरोना वायरस फैल सकता है। ये दावा अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने किया है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में इन्फेक्शस डिजीज के प्रमुख एंथोनी फॉसी ने अमेरिका के न्यूज चैनल Fox News को बताया कि हाल ही में मिली सूचनाओं के आधार पर ये बात सामने आई है कि कफ और खांसने के अलावा ये वायरस सिर्फ बात करने से भी फैल सकता है। एंथोनी फॉसी ने बीमार लोगों के अलावा आम लोगों से भी मास्क पहनने की अपील की।

इससे पहले नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (NAS) ने भी व्हाइट हाउस को एक पत्र लिख कर इस रिसर्च के बारे में बताया था। हालांकि एनएएस का कहना था कि इस शोध के नतीजों के बारें में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन अभी तक के अध्ययन के अनुसार सांस लेने से इस वायरस का एरोसोलाइजेशन हो सकता है। यानी ये हवा में भी फैल सकते हैं।

इससे पहले अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसियों का कहना था कि कोरोना वायरस बीमार लोगों के छींकने और खांसने से निकलने वाली छींटों से फैलता है, जो आकार में लगभग एक मिलीमीटर के होते हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि SARS-CoV-2 वायरस एरोसोल बन सकता है और हवा में 3 घंटे तक रह सकता है।

हालांकि कई वैज्ञानिकों ने इस स्टडी की आलोचना भी की। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन के लिए रिसर्च टीम ने नेबुलाइजर मशीन का इस्तेमाल किया, ताकि जानबूझकर वायरल धुंध बनाई जा सके जबकि स्वाभाविक रूप से ये संभव नहीं है।