कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा हैं। देश में संक्रमितों का आंकड़ा 26 लाख को पार कर चुका हैं। वहीँ मरने वालों की तादाद 51 हजार से भी ऊपर जा चुकी हैं। शोधकर्ता और डॉक्टर्स लगातार इसकी वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। देखा जा रहा हैं कोरोना मरीजों की मौत अचानक हो रही हैं। इसे लेकर डॉक्टर्स का कहना हैं कि वायरस से शरीर में ब्लड क्लॉटिंग यानि की खून का थक्का भी बनता है जिससे मरीज की अचानक मौत भी हो सकती है।
कोविड थिंक टैंक के सदस्य और लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल के पलमोनरी एन्ड क्रिटिकल केअर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉक्टर वेद प्रकाश की ओर से यह दावा किया गया है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से फेफड़ों की नसों में ब्लड क्लॉटिंग हो रही है। ब्लड क्लॉटिंग की वजह से ऑक्सीजन के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं जिसकी वजह से कोरोना के मरीजों की अचानक मौत हो जा रही है।
30 फीसदी गंभीर मरीजों का बन रहा ब्लड क्लॉट
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 30 फीसदी गंभीर मरीजों में ब्लड क्लॉट बना रहा है, जिससे मरीजों में मृत्यु दर बढ़ रही है। साइंस मैगजीन नेचर में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक, शोधकर्ताओं कोब्लड क्लॉट बनने की स्पष्ट वजह नहीं पता चल पाई है हालांकि, एक थ्योरी ये है कि ब्लड क्लॉटिंग तब होती है जब कोरोना वायरस एंडोथेलियल सेल्स (रक्त धमनियों) पर हमला करता है। ऐसा उस स्थिति में होता है जब वायरस एसीई-2 रिसेप्टर से खुद को जकड़ लेता है तो फिर रक्त धमनियां प्रोटीन रिलीज करना शुरू कर देती हैं जिससे ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है।
वहीं दूसरी थ्योरी के अऩुसार, मानव शरीर में कोरोना वायरस के हमले की वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस को हाइपरऐक्टिव कर देता है। इस इन्फ्लेमेशन से भी ब्लड क्लॉटिंग शुरू हो सकती है। वहीं जिन लोगों को पहले से ही ब्लड क्लॉटिंग का रिस्क होता है उन्हें ज्यादा खतरा है। इसके अलावा बुढ़ापा, ज्यादा वजन, हाइपरटेंशन, डायबिटीज या ऐसी दवाएं लेना आदि में भी ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ जाता है। स्वाइन फ्लू और सार्स जैसे वायरस भी ब्लड क्लॉट का खतरा बढ़ाते हैं।
अन्य बीमारियों की तुलना में कोरोना से ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग
इसी के साथ उन्होंने कहा कि दूसरी बीमारियों की तुलना में कोरोना वायरस ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग बना रहा है जिससे मरीजों की मौत हो रही है। हालांकि इस वायरस में क्लाटिंग क्यों बन रही है इस पर रिसर्च जारी है। दुनिया भर में कोरोना वायरस के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग के कई मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
क्लॉटिंग के लिए डी डायमर्स टेस्ट
डॉक्टर वेद प्रकाश का कहना है कि वह कोरोना पॉजिटिव मामलों में क्लॉटिंग की जांच के लिए डी डायमर्स का टेस्ट कराते हैं। अगर डी डायमर्स का लेवल बढ़ा हुआ है तो फिर इसके इलाज के लिए ट्रीटमेंट का प्रोटोकॉल अपनाते हैं। थक्के को कम करने के लिए खून पतला करने वाली दवाइयां दी जाती है। वहीं एक्स-रे और सीटी स्कैन के जरिए भी क्रूड एनालिसिस करके अंदाजा लगाया जा सकता है कि शरीर में क्लॉटिंग है या नहीं।