छठ का महापर्व 31 अक्टूबर से शुरू हो गया है। दीपावली के छठे दिन से शुरू होने वाला यह पर्व चार दिनों तक चलता है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ही देवी छठ माता की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है और सप्तमी तिथि की सुबह तक चलती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय होता है। इसमें व्रती का मन और तन दोनों ही शुद्ध और सात्विक होते हैं। इस दिन व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं। शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का विधान होता है व्रती सारा दिन निराहार रहते हैं और शाम के समय गुड़ वाली खीर का विशेष प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा करके खाते हैं। षष्टि तिथि के पूरे दिन निर्जल रहकर शाम के समय अस्त होते सूर्य को नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं और अपने मन की कामना सूर्यदेव को कहते हैं। सप्तमी तिथि के दिन भी सुबह के समय उगते सूर्य को भी नदी या तालाब में खड़े होकर जल देते हैं और अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं। छठी मां को लगने वाला भोग का विशेष महत्व होता है। इन प्रसाद के बिना छठ की पूजा अधूरी मानी जाती है। छठी मैया को चढ़ने वाले ये प्रसाद सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं इस प्रसाद की खासियत।
- छठी मैया को नारियल भी चढ़ाया जाता है। नारियल में विटामिन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। नारियल खाने से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है।
- छठ पूजा में गन्ना चढ़ाना आवश्यक होता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय पूजा की सामग्री में गन्ने को जरूर शामिल किया जाता है। मान्यता है कि छठी मैया को गन्ना बहुत प्रिय है। छठ पूजा में सूर्य को सबसे पहले नई फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है इसलिए उन्हें गन्ने का अर्पण किया जाता है। गन्ना सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। ये लीवर को ठीक रखता है इसके अलावा गन्ने का रस वजन कम करने में भी सहायक होता है।
- डाभ नींबू बाहर से पीला और अंदर से लाल होता है। प्रसाद के तौर पर छठी मां को डाभ नींबू का अर्पण किया जाता है। बदलते मौसम में डाभ नींबू किसी वरदान से कम नहीं है। इसे खाने से कई मौसमी बीमारियां दूर होती हैं।
- छठ पूजा में ठेकुए का प्रसाद सबसे जरूरी माना जाता है। गुड़ और आटे को मिलाकर ठेकुए का प्रसाद बनाया जाता है। छठ के साथ ही सर्दी की शुरुआत हो जाती है। गुड़ का सबसे ज्यादा सेवन ठंड में किया जाता है। गुड़ ठंड से बचने और सेहत को सही रखने में मदद करता है। इसलिए प्रसाद में ठेकुए को सेहतमंद माना गया है।
- छठी मैया की पूजा में केले को जरूरी माना जाता है। छठी मां को केले का का पूरा गुच्छा चढ़ाया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। केले में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
छठ पूजा का कैलेंडरछठ पूजा नहाय-खाए (31 अक्टूबर)
खरना का दिन (1 नवम्बर)
छठ पूजा संध्या अर्घ्य का दिन (2 नवम्बर)
उषा अर्घ्य का दिन (3 नवम्बर)
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
पूजा का दिन - 2 नवंबर, शनिवार
पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
षष्ठी तिथि आरंभ - 00:51 (2 नवंबर 2019)
षष्ठी तिथि समाप्त - 01:31 (3 नवंबर 2019)