नवजात शिशु से लेकर बुजुर्गों तक में अवसाद देखा गया है। बच्चो और व्यस्कों में भी डिप्रेशन की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। तनाव युक्त जीवन, अत्यधिक महत्वकांक्षी होना इन्हें और बढ़ाता है,आत्महत्या- विश्व में आठ लाख (800000) लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, W.H.O.के डाटा के अनुसार इनमें से 1, 35, 000 (17%) हमारे भारतवासी हैं। आत्महत्या का अनुपात अब 2018 में हर 1, 00, 000 व्यक्तियों में 10.9 हो चूका है, जो कि पहले 7.9 था। हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो जाता है और हर 3 सेकेंड में एक व्यक्ति प्रयास करता है मरने के लिए। ये डाटा विश्व स्तर पर W.H.O. (वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) द्वारा दिया गया है।
डिप्रेशन के लक्षण
# चिंता, उदासीनता, असंतोष, खालीपन, अपराध बोध, निराशा, मिजाज बदलते रहना, घबराहट अथवा सुख प्रदान करने वाले कार्यों से भी सुख की अनुभूति ना होना।
# साधारणतह एक व्यस्क को 7-8 घंटे की नींद की आवश्यकता है किंतु, अवसाद में व्यक्ति अपनी निद्रा का लाभ नहीं ले पाता, उसकी नींद सुबह बहुत जल्दी खुल जाती है या वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है। नींद के बाद भी उसे थकावट और आलस्य महसूस होत है। कुछ मरीजों में अत्यधिक नींद भी पाई गई है पर उसमें भी वह थका हुआ ही उठता है व्यक्ति, खुद को तरोताजा महसूस नहीं कर पाता । वह हमेशा थकान और बेचैनी का अनुभव करता है।
#कुछ लोग नशा करने लगते हैं कि वे हरदम वास्तविकता से दूर रहें क्योंकि उनमें इसे स्वीकार करने की शक्ति नहीं होती। हम कह सकते हैं कि वे डरपोक हो जाते हैं। जीवन के उतार चढ़ाव को बर्दाश करने की क्षमता उनमें नहीं होती। कैफीन (कॉफी), चाय, जंक फूड इत्यादि से भी गलत प्रभाव पड़ता है। सिगरेट (धूम्रपान) अथवा तंबाकू सेवन आदि भी गलत प्रभाव डालते हैं।
# अवसाद या डिप्रेशन के उपचार के लिए पढ़ें अगला पत्र जिसमें योग, प्राणायाम और ध्यान के बारें में बताया गया है।
उपचारआहारः-
# एक पुरानी कहावत है, जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। भोजन में जरुरी पोषक तत्व ना होने से अवसाद की स्थिति और बिगड़ जाती है। सही आहार अवसाद को ठीक करने में अति सहायक है। 70 -90% मनोविकारों में लाभ मिलता है। एपिजीन में परिवर्तन करने वाले स्वास्थ्य दायक आहार का प्रयोग करें जिससे मन अच्छा रहेगा और नींद भी ठीक होगी जो कि आपकी कार्य क्षमता को बढ़ाएगी।
योग और प्राणायाम
अनलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, बंध और
सूर्य नमस्कार तथा योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। घर के बाहर
निकलें, प्रतिदिन सैर पर जाएं और व्यायाम को अपने जीवन में स्थान दें तनाव
अपने आप आपसे दूर हो जाएगा।
ध्यान
यह अति प्रभावशाली और बहुत लाभदायक है। ध्यान करने से मरीजों को काफी लाभ होता है।
श्री
श्री रविशंकर जी कहते हैं ध्यान के 3 नियम है - में कुछ नहीं हु - अकिंचन,
में कुछ नहीं करने वाला - अप्रयत्न और मुझे कुछ नहीं चाहिए - अचाह। ध्यान करने से मस्ती, प्रसन्नता शांति बनी रहती है, शरीर तंदुरुस्त, अंतः पुराना, बुद्धि तीक्ष्ण होती है।