कोरोना वायरस संकट के बीच अब एक और बीमारी लोगों की चिंता बढ़ा रही है। भारत में बर्ड फ्लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बर्ड फ्लू के लिए एच5एन1 वायरस जिम्मेदार होता है। एवियन इन्फ्लूएंजा या एवियन फ्लू को बर्ड फ्लू कहा जाता है बर्ड फ्लू पक्षियों से फैलने वाला रोग है। संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से यह रोग इंसानों को हो जाता है चाहे पक्षी मरा हो या जिंदा हो दोनो से ही रोग फैलने का खतरा रहता है। संक्रमित पक्षी को खाने से भी यह रोग हो सकता है। अगर आप पानी में तैर रहे हैं और उस पानी में कोई संक्रमित पक्षी भी रहा है तो इससे भी बर्ड फ्लू हो सकता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में इस वायरस को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। ये वायरस संक्रमित पक्षियों और इंसानों दोनों के लिए भी बहुत खतरनाक है। ये वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे मौत भी हो सकती है।
H5N1 प्राकृतिक रूप से पक्षियों में होता है लेकिन ये पालतू मुर्गियों में आसानी से फैल जाता है। ये बीमारी संक्रमित पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह के लार या आंखों से निकलने वाली पानी के संपर्क में आने से होता है। संक्रमित मुर्गियों के 165ºF पर पकाए गए मांस या अंडे के सेवन से बर्ड फ्लू नहीं फैलता है लेकिन संक्रमित मुर्गी के अंडों को कच्चा या उबालकर नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा संक्रमित जगहों पर जाने वाले, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले, कच्चा या अधपका मुर्गा-अंडा खाने वाले या संक्रमित मरीजों का देखभाल करने वाले लोगों को भी बर्ड फ्लू हो सकता है।
बर्ड फ्लू के लक्षणबर्ड फ्लू एक खास तरह का श्वास रोग होता है यह रोग इतना खतरनाक होता है कि इससे संक्रमित व्यक्ति की जान भी जा सकती है। बर्ड फ्लू होने पर आपको कफ, डायरिया, बुखार, सांस से जुड़ी दिक्कत, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, नाक बहना और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है। अगर आपको लगता है कि आप बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए हैं तो किसी और के संपर्क में आने से पहले डॉक्टर को दिखाएं।
क्यों होता है बर्ड फ्लूबर्ड फ्लू कई तरह के होते हैं लेकिन H5N1 पहला ऐसा एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस है जो इंसानों को संक्रमित करता है। इसका पहला मामला 1997 में हॉन्ग कॉन्ग में आया था। उस समय बर्ड फ्लू के प्रकोप को पोल्ट्री फार्म में संक्रमित मुर्गियों से जोड़ा गया था।
किन लोगों को होता है बर्ड फ्लू का खतराH5N1 में लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता होती है। संक्रमित पक्षियों के मल और लार में ये वायरस 10 दिनों तक जिंदा रहता है। दूषित सतहों को छूने से ये संक्रमण फैल सकता है। अगर इसके फैलने का सबसे ज्यादा खतरा मुर्गीपालन से जुड़े लोगों को होता है।
क्या है इलाजअलग-अलग तरह के बर्ड फ्लू का अलग-अलग तरीकों से इलाज किया जाता है लेकिन ज्यादतर मामलों में एंटीवायरल दवाओं से इसका इलाज किया जाता है। लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर इसकी दवाएं लेनी जरूरी होती हैं।
बर्ड फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के अलावा उसके संपर्क में आए घर के अन्य सदस्यों को भी ये दवाएं ली जाने की सलाह दी जाती है, भले ही उन लोगों में बीमारी के लक्षण ना हों।
कैसे करें बचावइन्फ्लूएंजा से बचने के लिए डॉक्टर आपको फ्लू की वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा आप खुले बाजर में जाने, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने और अधपका चिकन खाने से बचें। हाइजीन बनाए रखें और समय-समय पर अपने हाथ धोते रहें।