काम के बढ़ते बोझ के चलते आजकल लोग खुद की सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, जो आगे चलकर विकराल बीमारी का रूप धारण कर लेती हैं। आइल लिए अपनी दिनचर्या में कुछ समय योगा के लिए जरूर निकलना चाहिए। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं उत्थित पार्श्वकोणासन। तो चलिए जानते हैं उत्थित पार्श्वकोणासन की विधि और फायदे के बारे में।
* उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और 3 से 4 फीट पैर खोल लें। अपने बायें पैर को 10 से 20 दर्जे अंदर को मोड़ें, और दाहिने पैर को 90 दर्जे बहार को मोड़ें। बाईं एड़ी के साथ दाहिनी एड़ी संरेखित करें। धीरे से अपने हाथ उठाएँ जब तक हाथ सीधा आपके कंधों की सीध में ना आ जायें। हथेलियाँ नीचे ज़मीन की तरफ होनी चाहिए। अपने बाईं एड़ी को मज़बूती से ज़मीन पर टिकाए रखें और दाहिने घुटने को मोड़ें जब तक की घुटना सीधा टखने की ऊपर ना आ जाए। अगर आप में इतना लचीलापन हो तो अपनी जाँघ को ज़मीन से समांतर कर लें। साँस छोड़ते हुए अपने धड़ को दाहिनी ओर मोड़ें। धड़ एकदम दाहिनी पैर की सिधाई में नीचे आना चाहिए। ध्यान रखिएं की आप अपने कूल्हे के जोड़ों से मुड़ें ना की अपनी पीठ के जोड़ों से। अपने दाहिने हाथ को अपनी क्षमता के मुताबिक दाहिनी पैर से बाहर की तरफ फर्श पर, या टख़नों पर, या दाहिनी पैर से अंदर की तरफ फर्श पर रखें। ध्यान रखें की ऐसा करते वक़्त आपका धड़ और दाहिना पैर एक सीध में बने रहें। अपने बाएँ हाथ को छत की और आगे तरफ बढ़ायें। अंत में आपके बाएँ हाथ और पैर एक सीध में होने चाहिए। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ ताकि आप अपने बाएँ हाथ की उंगलियों को देख सकें। कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें। जब 5 बार साँस लेने के बाद आप आसान से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए सिर को सीधा कर लें, बाएँ हाथ को नीचे कर लें, धड़ को वापिस सीधा कर लें और पैरों को वापिस अंदर ले आयें ख़तम ताड़ासन में करें। दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।
* उत्थित पार्श्वकोणासन करने के फायदे - पैरों, घुटनों और टख़नों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।
- कूल्हों, ग्राय्न, हैमस्ट्रिंग और पिंदलियों, तथा कंधे, छाती, और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है।
- पेट के अंगों को उत्तेजित करता है। स्टैमिना बढ़ाता है।
- पीठ दर्द से राहत दिलाता है, ख़ास तौर से गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में।