वर्तमान समय की जीवनशैली इंसान को इतना व्यस्त रखती है कि इंसान स्वयं के लिए समय नह्गिन निकाल पाता है, जिसकी वजह से तनाव और माइग्रेन की समस्या सामने आती हैं। ऐसी स्थिति में दिन का कुछ समय योग में बिताना बहुत फायदेमंद साबित होता हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं ऊर्ध्व पद्मासन। तो चलिए जानते हैं ऊर्ध्व पद्मासन की विधि और फायदे के बारे में।
* ऊर्ध्व पद्मासन करने की विधि पीठ के बल सीधे लेट जायें। बाज़ुओं को सीधा पीठ के बगल में ज़में पर टिका कर रखें। साँस अंदर लेते हुए दोनो टाँगों को उठा कर हलासन में ले आयें। याद रहे कि कोहनियों को ज़मीन पर टिकाए हुए दोनो हाथों से पीठ को सहारा देना है। इस मुद्रा में 1-2 साँस अंदर और बाहर लें और यह पक्का कर लें की आपका संतुलन सही है। अब टाँगों को पद्मासन मुद्रा में ले आयें। हाथों को अब आगे लाकर हाथों से घुटनों को सहारा दें। अगर संतुलन बाए रखना संभव ना हो तो उन्हे पीठ को सहारा देती हुई मुद्रा में ही रखें। दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है संतुलन बनाए रखने में तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं। अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को वापिस ले आयें। शुरुआत में कम देर करें (30 सेकेंड भी पर्याप्त है) और धीरे धीरे समय बढ़ायें।
* ऊर्ध्व पद्मासन करने के फायदे - बाज़ुओं, कंधों, गर्दन और धड़ की मांसपेशियों को मज़बूत करता है।
- शरीर के प्रति जागरूकता, संतुलन और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार लाता है।
- मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति में सुधार लाता है।
- पेट के सभी अंगों के लिए लाभदायक है। पाचन में सुधार लाता है।
- माइग्रेन के लिए चिकित्सीय है।