आजकल के समय में बढ़ते प्रदूषण और धुल-मिटटी के कारण इंसानों में कई तरह की बीमारियों का संचार होने लगा हैं और धुल से होने वाले इन रोगों से बचने के लिए जरूरी होता हैं अपने शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाना और इसके लिए योग से बेहतर कुछ नहीं हो सकता हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं मत्स्यासन। तो चलिए जानते हैं मत्स्यासन की विधि और फायदे के बारे में।
* मत्स्यासन करने की विधि
दंडासन में बैठ जायें। हल्का सा हाथों से ज़मीन को दबाते हुए, और साँस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करने की कोशिश करें। साँस अंदर लेते हुए दोनो टाँगों को उठा कर पद्मासन में ले आयें। अब पीठ को धीरे धीरे पीछे की तरफ ले जायें। कोहनियों को ज़मीन पर टीका कर धड़ को सहारा दें। अब गर्दन को लंबा करते हुए सिर को भी ज़मीन की तरफ झुकायं। पीठ और सिर को तब तक झुकाते रहें जब तक की सिर ज़मीन को ना छू ले। बाज़ुओं को अब उठा कर हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ लें। दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है संतुलन बनाए रखने में तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं। अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को वापिस ले आयें। शुरुआत में कम देर करें (30 सेकेंड भी पर्याप्त है) और धीरे धीरे समय बढ़ायें। * मत्स्यासन करने के फायदे
- गर्दन और छाती की मासपेशियों में खिंचाव लाता है।
- गर्दन और कन्धों की मासपेशयों को तनाव मुक्त करता है।
- मत्स्यासन थाइरोइड, क़ब्ज़, सांस की बीमारियों, हल्के पीठ में दर्द, थकान, मासिक-धर्म में दर्द के लिए चिकित्सीय है।