श्वसन सम्बन्धी समस्याओं में फायेदा देता है अर्ध चंद्रासन, जाने और फायदे

व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने के लिए शारीरिक श्रम करने की जरूरत होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि योग को अगर दिनचर्या में शामिल की जाए तो सेहत पर बहुत अच्छा असर पड़ता हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं अर्ध चंद्रासन। तो चलिए जानते हैं अर्ध चंद्रासन की विधि और फायदे के बारे में।

* अर्ध चंद्रासन करने की विधि

सबसे पहले घुटनों के बल खड़े हो जाएं, दोनों हाथों को साइड में रखें। बाएं पैर से एक कदम आगे बढ़ाएं। आगे की और झुकें और हथेलियों को बाएं पंजे के दोनों तरफ जमीन पर रखें। दाहिने पैर को पीछे की ओर पूरा खीचें। दाहिना घुटना, दाहिने पंजे के आगे का भाग और उंगलियां जमीन पर टिकी रहें। पीठ को धनुषाकार में बनाएं और दोनों हाथों को जोड़ते हुए पीछे की ओर ले जाएं। सिर को भी पीछे की ओर ले जाएं। दो से तीन मिनट तक इस अवस्था को बनाये रखें। फिर हाथों को नीचे जमीन पर लायें। बाएं पैर को पीछे दाएं पैर के बगल में लाते हुए पुरानी अवस्था में लौटें और घुटनों के बल खड़े हो जाएं।

* अर्ध चंद्रासन करने के फायदे

- यह अभ्यास संतुलन विकसित करता है और शरीर के आगे वाले भाग में खिंचाव उत्पन्न करता है।

- यह आसन पूरे शरीर को लचीला बनाता है।

- यह गर्भाशय और मूत्र नली से संबंधित स्त्री रोगों में विशेष रूप से लाभकारी होता है।

- यह आसन छाती और गर्दन को पर्याप्त खिंचाव प्रदान करता है, जिससे श्वसन सम्बन्धी समस्याओं, गले की खराश, टॉन्सिलाइटिस, खांसी और सर्दी से आराम पहुंचता है।