इंसान के जीवन में मानसिक और शारीरिक संतुलन होना बहुत जरूरी होता हैं। क्योंकि दोनों संतुलन होने की वजह से इंसान अपनी शारीरिक बीमारियों और मानसिक चिंताओं से छुटकारा पा सकता हैं। और इस संतुलन को स्थापित करने के लिए योग बहुत जरूरी हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं मयूरासन। तो चलिए जानते हैं मयूरासन की विधि और फायदे के बारे में।
* मयूरासन करने की विधि सबसे पहले जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं। पंजों को एक साथ रखें और घुटनों को एक-दूसरे से अलग कर लें। फिर सामने की ओर झुकें और दोनों हथेलियों को घुटनों के बीच जमीन पर इस प्रकार रखें कि उंगलियां पंजों की और रहें। सुविधा और लचीलेपन को ध्यान में रख कर हाथों की स्थिति को व्यवस्थित कर लें। कोहनियों और कंधों के आगे के भाग को एक साथ रखें। कुछ ओर आगे झुकें और पेट को कोहनियों पर टिकाएं। छाती को हाथों के ऊपरी भाग पर रखें। फिर पैरों को पीछे की ओर इस प्रकार फैलाएं कि वे सीधे और एक साथ रहें। शरीर की मांसपेशियों पर जोर डालते हुए धीरे-धीरे धड़ और पैरों को इस प्रकार उठायें कि वे जमीन के समानांतर हो जाएं। सिर को ऊपर उठाकर रखें। अब पूरे शरीर का भार केवल हथेलियों पर संतुलित रहेगा। मांसपेशियों पर अधिक जोर लगाकर, पैरों को सीधा रखते हुए तथा शरीर के संतुलन को व्यवस्थित करते हुए पैरों और पंजों को और ऊंचा उठाने का प्रयास करें। आधी जोर न लगाएं। आखिर में, शरीर का भार छाती पर न डालते हुए पेट की मांसपेशियों पर डालें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में वापस आ जाएं। जब सांस सामान्य हो जाए तो फिर से इस आसन को दोहराने की कोशिश करें। इस आसन को तीन बार दोहराने की कोशिश करें। फिर अपनी क्षमता के अनुसार इस आसन की अवधि बढाते रहें।
* मयूरासन करने के फायदे - यह आसन चयापचय की प्रक्रियाओं को बढ़ाता है। जिससे विभिन्न अंगों में रक्त-प्रवाह बढ़ने लगता है।
- यह रक्त से विषाक्त पदार्थों को साफ करता है और चर्म रोग जैसे कील-मुहांसे, दाग-धब्बों को दूर करता है।
- इस आसन से सभी अंगों की मालिश होती है।
- पेट की गैस, कब्ज, शुगर, लीवर और गुर्दे की समस्या को कम करने के लिए इस आसन का उपयोग किया जाता है।
- इससे मानसिक और शारीरक संतुलन विकसित होता है और पूरे शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।