शिशु की इम्यूनिटी पर बुरा प्रभाव डालता हैं प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव

गर्भावस्था अर्थात प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के जीवन का बेहद संवेदनशील और यादगार समय होता है। इन दिनों में महिला के अंदर नई जान पनप रही होती हैं। ऐसे में महिला का व्यवहार शिशु कि सेहत पर गहरा असर डालता हैं। खासतौर से प्रेग्नेंसी के दौरान चिंता और तनाव की स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत संतुलित जीवनशैली रखने की सलाह दी जाती है। हाल में ही कनाडा में हुई एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि गर्भावस्था के दौरान महिला की मानसिक सेहत से सीधे पर होने वाले शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) जुड़ी हुई है। इस स्टडी को Clinical & Experimental Allergy नामक जर्नल में छापा गया है।

रिसर्च के अनुसार जिन महिलाओं में प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में डिप्रेशन के मामले पाए गए, उनके होने वाले बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उन बच्चों की आधी थी, जिनकी मांएं प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य मानसिक स्थिति में थीं। हालांकि डिप्रेशन की शिकार इन महिलाओं में लक्षण इतने प्रबल नहीं थे कि इन्हें मेडिकल सहायता लेनी पड़ती। इसका अर्थ है कि सामान्य चिंता, तनाव और डिप्रेशन का असर होने वाले शिशु पर पड़ सकता है। गौर करने वाली बात ये है कि महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद होने वाले डिप्रेशन का बच्चे की सेहत पर कोई सीधा असर नहीं देखा गया है।

हम सभी के शरीर में एक खास सिस्टम होता है, जिसे इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा तंत्र कहते हैं। ये सिस्टम हमें बाहर से शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस, बैक्टीरिया, रोगों और बीमारियों से बचाता है और शरीर की अंदरूनी गड़बड़ियों को ठीक करने में मदद करता है। अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाए, तो वो बहुत जल्दी-जल्दी बीमारियों का शिकार होगा। हर व्यक्ति की इम्यूनिटी बहुत हद तक उसकी मां के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है, क्योंकि गर्भ में शिशु के निर्माण के दौरान ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले एंटीबॉडीज मां से शिशु में ट्रांसफर होते हैं।

इससे पहले हुई कई रिसर्च में भी प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताया गया है। International Study of Asthma and Allergies in Childhood (ISAAC) के अनुसार अगर कोई मां प्रेग्नेंसी के दौरान मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रहती है, तो होने वाले बच्चे को अस्थमा और सांस की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। लेकिन कनाडा में हुई रिसर्च पहली ऐसी स्टडी है, जिसमें शिशु की इन्यूनिटी पर इसका असर देखा गया है।