50 साल से ज्यादा उम्र वाले रहें सावधान, ये 5 बीमारी कर रही है आपका इंतजार

बुढ़ापा आना तो तय है। इसको फ़िलहाल रोक पाने में चिकित्सा विज्ञान भी असमर्थ है। बुढ़ापे के साथ बीमारियां भी आएंगी, ऐसी कोई पैकेज डील नहीं है कि बुढ़ापा आए और आपको बीमारी ना हो। एक्सपर्ट का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही इंसान के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और उसे कई बीमारियां घेरने लगती हैं। ये बीमारियां 50 साल से ज्यादा की उम्र के महिला और पुरुषों में सबसे ज्यादा देखी गई हैं। आइए जानते हैं वो कौन-सी घातक बीमारियां है जो 50 साल से ज्यादा होते ही इंसानों के लिए खतरा बनने लगती हैं।

दिल की बीमारी

सेंटर्स ऑफ डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन का कहना है कि अमेरिका में दिल की बीमारी पहले नंबर पर है जो बुजुर्गों में सबसे ज्यादा देखी गई है। 50 साल से ऊपर उम्र होते ही इस बीमारी का खतरा बढ़ने लगता है। भारतीय बुजुर्गों में यह बीमारी ज्यादा तादाद में देखी गई है। सेंटर्स ऑफ डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन का कहना है कि अमेरिका में 4 में से एक मरीज की मौत हार्ट की बीमारी से होती है। साल में दिल की बीमारी यानी हार्ट अटैक से मरने वाले मरीजों की संख्या 6 लाख 30 हजार से ज्यादा है। रिपोर्ट का कहना है कि हर 40 सेकेंड में अमेरिका में एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है।

कैंसर

हार्ट अटैक के बाद सबसे ज्यादा बुजुर्गों को होने वाली बीमारी कैंसर है। हालाकि, आज के समय में कैंसर एक ऐसी बीमारी हो गई जो कोई उम्र नहीं देखती। बदलते पर्यावरण और आज के खान-पान ने इस बीमारी को इतना बढ़ावा दे दिया है कि ये आज के समय में छोटी उम्र में भी लग जाती है। हालाकि, 50 साल से ऊपर उम्र होते ही पुरुषों को लंग कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है। वहीं, महिलाओं को इस उम्र में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर का खतरा होता है। फेफड़े और स्तन के कैंसर के बाद पेट का कैंसर और प्रोटेस्टेट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

पेशाब पर नियंत्रण न कर पाना

पेशाब पर नियंत्रण न कर पाना बुढ़ापे में आप तकलीफ है, जिसे बूढ़े लोग संकोच तथा शर्मवश छुपाते रहते हैं। औरतों में तो विशेष तौर पर। पेशाब कपड़ों में ही छूट जाती है। पूरी या थोड़ी-बहुत। रोक ही नहीं पाते। कई बार तो खांसने, छींकने या हंसने पर भी ऐसा हो जाता है। घर में बूढ़ा व्यक्ति हो तो उससे इस बाबत स्पष्ट पूछते रहना चाहिए। यह प्रोस्टेट की बीमारी, पेशाब के इंफेक्शन, बच्चेदानी के ढीले होने, पथरी, पेल्विस की मांसपेशियां ढीली हो जाने, किसी न्यूरोलॉजी वाली बीमारी आदि में से किसी का भी लक्षण हो सकता है और इन सब बीमारियों की या तो दवाएं मौजूद हैं या फिर इनका आसान सा ऑपरेशन भी हो जाता है।

प्रेशर की जगहों पर घाव या छाला होना

बूढ़े व्यक्ति प्रायः बैठे या लेटे रहते हैं। उनकी खाल भी नाजुक हो जाती है जिसकी वजह से ज्यादा प्रेशर की जगह पर घाव हो जाते हैं। पीठ पर, एड़ी पर, टखनों पर। ये घाव आसानी से भरते भी नहीं। ये बिगड़ जाएं तो यहां का इंफेक्शन पूरे शरीर में फैलकर जानलेवा सेप्टीसीमिया बन सकता है। पक जाने घाव बेहद गहरा भी हो सकता है। इसलिए लगातार एक ही जगह बैठे या लेटे न रहें। घाव हो ही गया हो तो उसे पकने से बचाएं। ड्रेसिंग आदि कराएं।

स्ट्रोक

स्ट्रोक या मस्तिष्काघात एक चिकित्सीय स्थिति है जिसमे मस्तिष्क मे खराब रत्क प्रवाह कोशिका मृत्यु मे परिणाम देता है । इसे मस्तिष्क का दौरा भी कहा जाता है।स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार है :रक्त प्रवाह की कमी के कारण इस्किमिक और राक्त्स्त्राव के कारण हीमोराजिक। स्ट्रोक के लक्षणो मे शरीर के एक तरफ स्थानांतरित करने या महसूस करने मे असमर्थता ,समझने या बोलने मे समस्या ,चक्कर आना या दृष्टि के नुकसान शामिल होते है । स्ट्रोक होने के तुरंत बाद उसके लक्षण अक्सर प्रकट होते है।यदि लक्षण एक या दो घंटे से भी कम समय तक चलते है तो इसे मिनी स्ट्रोक भी कहते है। यह बीमारी भी सबसे ज्यादा बुजुर्गों को प्रभावित करती है।