रेस-3: अकेले सलमान खान के भरोसे 200 करोड का दांव, क्या सफल होंगे तोरानी?

सलमान खान इस वर्ष जहाँ अपनी आगामी प्रदर्शित फिल्म 'टाइगर जिंदा है' को लेकर चर्चाओं में हैं, वहीं वे दूसरी तरफ अपनी पिछली प्रदर्शित फिल्म 'ट्यूबलाइट' की असफलता को लेकर भी चर्चाओं में रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाका नहीं किया लेकिन यह उतनी हिट नहीं हुई जितनी उम्मीद की जा रही थी। कबीर खान के निर्देशन में बनी 'ट्यूबलाइट' ने बॉक्स ऑफिस पर 122 करोड का कारोबार करने में सफलता प्राप्त की है। स्टार टीवी पर इसने अपनी लागत निकालने के साथ ही उसे मुनाफा भी दिया है। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि 'ट्यूबलाइट' असफल रही।

'टाइगर जिंदा है' 22 दिसम्बर को प्रदर्शित होने जा रही है जिसका प्रचार सलमान खान ने प्रदर्शन से दो माह पूर्व ही शुरू कर दिया है। लेकिन इन दिनों सलमान खान इसकी वजह से नहीं बल्कि अपनी आगामी ईद रिलीज (2018) को लेकर चर्चाओं मेंं हैं। सलमान खान ने समस्त पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए वर्ष 2018 ईद में 'रेस-3' को प्रदर्शित करने का मानस बनाया है। हालांकि अभी तक उन्होंने इसकी विधिवत घोषणा नहीं की है, लेकिन जिस गति से इस फिल्म की शूटिंग आगामी 9 नवम्बर से शुरू की जा रही है उससे स्पष्ट झलकता है कि यह फिल्म ईद 2018 पर प्रदर्शित होगी।

रमेश तोरानी की 'रेस' सफल फ्रेंचाइजियों में शुमार होती है। इसके पहले दो संस्करण 'रेस', 'रेस-2' ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया है और अब रमेश तोरानी इसका तीसरा भाग लेकर आ रहे हैं जिसके लिए उन्होंने 7 साल का इंतजार किया है। रमेश तोरानी ने 7 वर्ष पूर्व ही इस फिल्म के लिए सलमान खान को 100 करोड के भारी-भरकम पारिश्रमिक पर तय कर लिया था।

सलमान खान ने 'रेस' में काम करने की सैद्धान्तिक मंजूरी तो दी थी लेकिन उनकी कुछ अपनी शर्तें थी, जिनके चलते इस सीरीज में तकनीकी दृष्टि से बदलाव किए गए। सबसे पहला बदलाव यह हुआ कि इस सीरीज से निर्देशक द्वय अब्बास मस्तान का अधिकार खत्म कर दिया गया, साथ ही उन्हें इसके निर्देशन से भी मुक्त कर दिया गया। दूसरा बदलाव इस फिल्म के सबसे महत्त्वपूर्ण किरदार (खलनायक अक्षय कुमार, जॉन अब्राहम) की भूमिका में परिवर्तन किया गया है। फिल्म में सलमान खान ने खलपात्र को अभिनीत करने से इंकार कर दिया है। अब सलमान फिल्म में सैफ अली खान के किरदार को निभाते नजर आएंगे, जिसके चलते इस किरदार को सशक्त बनाया गया। खलनायक के तौर पर दक्षिण के जाने माने सितारे को लिए जाने की सम्भावना है।

100 करोड के सलमान खान के पारिश्रमिक के चलते रमेश तोरानी की इस फिल्म का बजट लगभग 200 करोड हो जाता है। ऐसे में एक सवाल जेहन में उभरता है कि क्या अकेले सलमान खान अपने दम पर इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर इतनी बड़ी सफलता दिलवाने में कामयाब होंगे जिसके चलते 200 करोड की लागत वसूल की जा सके। यह सही है कि सलमान खान की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कारोबार करती हैं लेकिन 150 करोड के बाद उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दम तोडऩे लगती हैं। उनकी पिछली प्रदर्शित फिल्मों पर नजर डाली जाए तो एक मात्र 'एक था टाइगर' और 'सुल्तान' ऐसी फिल्में रही हैं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर भारी मुनाफा कमाया है।

एक था टाइगर ने जहाँ 198 करोड का कारोबार किया था, वहीं 'सुल्तान' ने पूरी तरह पस्त होकर बॉक्स ऑफिस पर 300 करोड का कारोबार किया। ऐसे में यह सोचना कि रेमो डिसूजा के निर्देशन में बनने वाली 'रेस-3' बॉक्स ऑफिस पर 300 करोड के आंकड़े को छूने में कामयाब होगी अविश्वसनीय कल्पना है।

मूलत: रेमो डिसूजा कोरियोग्राफर हैं, जिन्होंने बतौर निर्देशक डांस बेस्ड फिल्म 'एबीसीडी : एनी बॉडी कैन डांस' का निर्देशन किया है। इस सीरीज की दोनों फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता प्राप्त की है लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं कि जिसके चलते वे सलमान खान को निर्देशित करते हुए 300 करोड के आंकडें को पार कर सके। 'रेस' की सफलता में सबसे बड़ा हाथ उसकी पटकथा, प्रस्तुतीकरण और फिल्म में आने वाली रोचक मोड हैं, जिनकी कल्पना दर्शक नहीं कर पाता है। साथ ही इस फिल्म की तेज गति, जो दर्शकों को सोचने का मौका नहीं देती, की अहम् भूमिका है। क्या रेमो डिसूजा 'रेस' में वो सब खूबियाँ रख पाएंगे जिनके लिए निर्देशक द्वय अब्बास मस्तान को जाना जाता है।

रमेश तोरानी सलमान खान के साथ 19 साल के लम्बे अन्तराल के बाद फिल्म बनाने जा रहे हैं। 1998 में उन्होंने सलमान खान को लेकर 'जब प्यार किसी से होता है' नामक फिल्म का निर्माण किया था, जिसने बॉक्स ऑफिस पर औसत सफलता प्राप्त की थी। इस फिल्म को हनी ईरानी ने लिखा और दीपक सरीन ने निर्देशित किया था। मनमोहन सिंह के बेहतरीन छायांकन से सजी इस फिल्म का सम्पादन रेणु सलूजा ने किया। उन दिनों सलमान खान की पहचान 'पागल प्रेमी' के रूप में हुआ करती थी, लेकिन आज सलमान खान की पहचान 'सुल्तान' के रूप में है जो पूरी फिल्म को अपने कंधों पर ढोता है। दर्शक सिनेमाघरों में सलमान खान को देखने आते हैं ऐसे में अगर कहानी में दम होता है तो वह सुपर हिट होती है अन्यथा उसका हश्र 'जय हो' और 'ट्यूबलाइट' जैसा होता है। कहते हैं इंतजार का फल मीठा होता है हो सकता है रमेश तोरानी की बंद हो चुकी तकदीर को सलमान खान अभिनीत 'रेस-3' खोल दे और भविष्य में दर्शकों को इन दोनों की जोडी अन्य फिल्मों में भी दिखाई दे।