
बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान एक बार फिर चर्चा में हैं, इस बार उनकी नई फिल्म 'सितारे ज़मीन पर' के साथ-साथ उनके धर्म और फिल्मों में धार्मिक चित्रण को लेकर दिए गए बयानों के कारण। रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में पहुंचे आमिर खान ने धर्म, लव जिहाद, ‘पीके’ विवाद और अपने मुसलमान होने पर खुलकर अपनी बात रखी।
आमिर बोले – “मैं मुसलमान हूं और मुझे इस पर गर्व है”'आप की अदालत' शो के दौरान जब रजत शर्मा ने आमिर खान से उनके धर्म और फिल्मों को लेकर उठने वाले विवादों का ज़िक्र किया, तो अभिनेता ने स्पष्ट शब्दों में कहा – मैं मुसलमान हूं और मुझे इस पर गर्व है। मैं हिंदुस्तानी हूं और मुझे इस पर भी बहुत गर्व है। ये दोनों बातें अपनी जगह सही हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी फिल्मों या शो का मकसद कभी किसी धर्म को नीचा दिखाना नहीं होता। आमिर खान ने कहा कि वो हर धर्म का सम्मान करते हैं और उनकी फिल्मों का मकसद केवल उन लोगों को उजागर करना होता है जो धर्म का गलत इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह करते हैं।
‘पीके’ फिल्म को लेकर उठे विवाद पर सफाईआमिर खान की फिल्म ‘पीके’ को लेकर उन पर यह आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं कि उन्होंने हिंदू धर्म का मज़ाक उड़ाया। इस पर सफाई देते हुए आमिर ने कहा – हमने कभी किसी धर्म का मजाक नहीं उड़ाया। ‘पीके’ का मकसद यह था कि जो लोग धर्म के नाम पर गलत काम करते हैं, जो आम इंसान को गुमराह करते हैं, उनसे बचना चाहिए। ऐसे लोग हर धर्म में होते हैं। हमारी फिल्म उन्हीं पर निशाना साध रही थी।
‘सत्यमेव जयते’ पर उठे सवालों का जवाबरजत शर्मा ने जब ‘सत्यमेव जयते’ शो के दौरान हिंदू समाज की कुरीतियों को दिखाने और उससे पैसे कमाने के आरोपों की चर्चा की, तो आमिर खान ने साफ तौर पर कहा – मैंने इस शो के लिए विज्ञापन छोड़ दिए थे। इस शो से जो रकम मुझे मिल रही थी, उससे 6–7 गुना रकम मैंने गंवाई।
आमिर ने यह भी कहा कि उनका मकसद सामाजिक सुधार था, पैसा कमाना नहीं।
'सितारे ज़मीन पर' से कर रहे हैं वापसीआमिर खान तीन साल बाद अपनी नई फिल्म 'सितारे ज़मीन पर' के साथ बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं। यह फिल्म उनकी साल 2007 की चर्चित फिल्म 'तारे ज़मीन पर' का एक आध्यात्मिक और भावनात्मक विस्तार मानी जा रही है। फिल्म 20 जून, 2025 को रिलीज़ होगी।
आमिर खान ने धर्म और विवादों पर खुलकर अपनी बात रखकर यह साबित करने की कोशिश की है कि वह न केवल अपने धर्म पर गर्व करते हैं, बल्कि सभी धर्मों और विश्वासों के प्रति समान सम्मान भी रखते हैं। उनका मानना है कि धर्म का सम्मान करना और उसके नाम पर हो रहे दुरुपयोग के खिलाफ बोलना – दोनों अलग बातें हैं, और समाज को इस फर्क को समझना चाहिए।