दीपिका पादुकोण की गिनती मौजूदा दौर की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में होती है। उनके खाते में कई सुपरहिट फिल्में हैं। दीपिका ने हर तरह की भूमिका में खुद को साबित किया है। दीपिका की पहली फिल्म साल 2007 में आई ‘ओम शांति ओम’ थी। इसमें सुपरस्टार शाहरुख खान उनके हीरो थे। यह जोड़ी खूब पसंद की गई। फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 78.17 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था। दीपिका के कैरेक्टर ‘शांतिप्रिया’ को लोगों ने बहुत प्यार दिया, लेकिन कुछ लोगों ने उनकी आलोचना भी की थी।
अब दीपिका ने इस बारे में बताया है। दीपिका ने थ्राइव ग्लोबल की फाउंडर एरियाना हफिंगटन को दिए एक इंटरव्यू में मेंटल हेल्थ पर बात करते हुए बताया कि उन्होंने नेगेटिविटी से कैसे डील की। दीपिका ने कहा कि जब मेरी फिल्म ‘ओम शांति ओम’ रिलीज हुई थी, कुछ खराब रिव्यू भी मिले थे लेकिन एक बैड रिव्यू मुझे उस तरफ लेकर गया था कि मैं खुद पर काम करूं। एक्सेंट और उच्चारण की वजह से मेरी आलोचना हुई थी। कई बार नेगेटिविटी अच्छी चीज होती है।
सब इस पर निर्भर करता है कि आप उसे कैसे देखते हैं और सबसे बड़ी चीज आप उन आलोचनाओं का क्या करते हैं। आप उसे पॉजिटिव तौर पर कैसे देखते हैं। दीपिका इन दिनों अपकमिंग फिल्म ‘सिंघम अगेन’ को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं। फिल्म 1 नवंबर को दिवाली के मौके पर थिएटर्स में रिलीज होगी। इसमें दीपिका पुलिस ऑफिसर ‘शक्ति शेट्टी’ का किरदार निभा रही हैं। दीपिका की पिछली फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ थी, जो सुपरहिट रही। दीपिका पिछले महीने मां बनी हैं। उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया।
मल्लिका शेरावत ने कहा, महेश भट्ट के सेट पर सभी लड़कियां करती हैं सुरक्षित महसूसएक्ट्रेस मल्लिका शेरावत इन दिनों काफी लाइमलाइट में हैं। मल्लिका आज शुक्रवार (11 अक्टूबर) को रिलीज हुई राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी की फिल्म ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ में अहम भूमिका निभा रही हैं। इस बीच मल्लिका ने एक इंटरव्यू में फिल्ममेकर महेश भट्ट की तारीफों के पुल बांधे।
मल्लिका ने हॉटरफ्लाई को दिए इंटरव्यू में कहा बचपन से ही मुझे लड़के और लड़कियों के बीच में भेदभाव का शिकार होना पड़ा। मेरे माता-पिता मुझे बिल्कुल सपोर्ट नहीं करते थे। मैं जिस फैमिली से आती हूं, वहां लड़कियों को सिर्फ चूल्हा-चौका और शादी की नजर से देखा जाता है। मेरे साथ भी इसी तरह का बर्ताव किया गया था। बाद में मेरी जिंदगी में कई शानदार व्यक्तियों की एंट्री हुई, जिन्होंने मुझे वो महिला बनाने में मदद की जो असल में मैं हूं। महेश भट्ट साहब ने मुझे पंख दिए और मुझे पुरानी सोच की बेड़ियों से बाहर निकाला।
जब मैं ‘मर्डर’ में काम कर रही थी, उस वक्त हम काफी बात करते थे। चीजों को लेकर उनके विचार जानते थे। मुझे फिल्म के दौरान सेट पर हमेशा से सुरक्षित महसूस हुआ। उनके सेट पर सभी लड़कियां सुरक्षित महसूस करती हैं। फिल्म में बोल्ड सीन करते वक्त मुझे बहुत असहजता महसूस होती लेकिन मुझे सेट पर हमेशा सुरक्षित महसूस हुआ। महेश भट्ट और इमरान हाशमी ने मुझे सुरक्षित महसूस कराया।