डेनमार्क की विक्टोरिया कजेर ने जीता Miss Univers 2024 का खिताब, जानें-भारत की रिया ने तय किया कितना सफर

मिस डेनमार्क विक्टोरिया कजेर थेलविग ने मिस यूनिवर्स 2024 का खिताब जीत लिया है। सौंदर्य प्रतियोगिता का 73वां संस्करण शनिवार (16 नवंबर) को एरिना सीडीएमएक्स मैक्सिको सिटी, मैक्सिको में आयोजित किया गया। कंपिटिशन में 125 देशों की सुंदरियों ने हिस्सा लिया। पिछले साल की मिस यूनिवर्स निकारागुआ की शेन्निस पालासियोस ने अपने हाथों से विक्टोरिया के सिर पर ताज सजाया।

नाइजीरिया की चिडिम्मा अडेटशिना पहली रनरअप, मैक्सिको की मारिया फर्नांडा बेल्ट्रान दूसरी रनरअप, थाईलैंड की ओपल सुचाता चुआंगस्री तीसरी रनरअप और वेनेज़ुएला की इलियाना मार्केज चौथी रनरअप रहीं। बता दें 21 साल की विक्टोरिया एक बिजनेस वुमेन और वकील हैं। वह बहुत अच्छीी डांसर भी हैं। सिर पर ताज सजने के बाद विक्टोरिया ने कहा कि मैं कभी भी लाइफस्टाबइल नहीं बदलूंगी। मैं आज तक जिस तरह से जी रही थी, आगे भी वैसे ही रहूंगी। हम अपनी गलतियों से ही सीखते हैं। हर दिन कुछ नया सीखते हैं और हमें इसे अपने भविष्य में लेकर जाना होता है।

यही कारण है कि मैं हर दिन को उसके अनुसार जीती हूं और खुद को पॉजिटिव रखने की कोशिश करती हूं। मैं कुछ भी बदलना नहीं चाहती। मुझे मैं अपने रूप में स्वीीकार करती हूं। बता दें जूरी पैनल में फैशन, मनोरंजन, कला और बिजनेस की दुनिया के मशहूर लोग शामिल थे। इनमें एमिलियो एस्टेफन, कैमिला गुइरीबिटी, जेसिका कैरिलो, माइकल सिन्को, ईवा कैवल्ली, नोवा स्टीवंस, जियानलुका वाची, फरीना, गैरी नादेर, गैब्रिएला गोंजालेज के नाम शुमार हैं।

चुनौती खत्म होने पर मंच पर ही रोने लगीं रिया सिंघा

भारत की रिया सिंघा (19) ने भी इसमें चुनौती पेश की। वह टॉप 30 तक तो पहुंचीं लेकिन टॉप 12 में जगह नहीं बना सकीं। प्रतियोगिता से बाहर होने के बाद रिया काफी इमोशनल हो गईं और मंच पर ही रोने लगीं। यह उनके लिए एक भावुक क्षण था। रिया ने मिस यूनिवर्स इंडिया ब्यूटी पेजेंट का क्राउन जीता था। इससे पहले तीन भारतीय सुंदरियां यह खिताब जीत चुकी हैं। सबसे पहले 1994 में एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने इस पर कब्जा जमाया था।

इसके बाद लारा दत्ता और हरनाज संधु को भी यह गौरव हासिल हुआ। इस बार मिस यूनिवर्स के ताज को 'लुमिएरे डे ल’ इनफिनी’ नाम दिया गया था जिसका अर्थ अनंत का प्रकाश है। यह ताज महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतिनिधित्व करता है। इसे हीरों के साथ 23 गोल्डन पर्ल से सजाया गया था। इसे फिलिपिंस के कारीगरों ने पारंपरिक टेक्नीक की मदद से 2 साल में बनाकर तैयार किया।

यह पहली बार था कि 28 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं ने भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। दो दर्जन से ज्यादा महिलाएं इस श्रेणी में शामिल थीं। माल्टा की बीट्राइस नजोया 40 साल से ज्यादा उम्र की पहली और एकमात्र महिला बनीं, जो ग्रैंड फाइनल (टॉप 12) तक पहुंचीं।