दुनिया में एक अकेली जगह है जहां एक छत के नीचे रोजाना करीब 35 हजार लोग सिर मुंडाते हैं। हम बात कर रहे है तिरुपति के भगवान बालाजी के मंदिर की। हालांकि अक्सर ये संख्या 45 हजार को पार कर जाती है। एक दिन में यहां सबसे ज्यादा केश उतरवाने का रिकॉर्ड 67 हजार के अासपास है।
रोजाना बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं। ये लोग देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी आते हैं। यहां के केश कल्याण कट्ट यानी बाल काटने के लिए बने हुए भवन में सुबह भोर से लेकर देर रात तक सिर मुंडवाने के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं। सुबह से लेकर रात सिर मुंडवाने वालों पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी होते हैं।
यहां बाल काटवाने का अपना महत्व है तो कटे हुए बालों का भी अपना महत्व। ये कटे बाल भी बेशकीमती हैं। जो बालाजी मंदिर को करोड़ों की आमदनी कराते हैं।
सिर मुंडाना प्राचीन परंपरा का हिस्साभगवान बालाजी के दर्शन से पहले सिर मुंडाना प्राचीन और पवित्र परंपरा का हिस्सा है। लोग इसके जरिए मन्नत भी मांगते हैं। इसीलिए तिरुपति मंदिर की लंबी लंबी लाइनों में तकरीबन हर दूसरा या तीसरा शख्स सिर मुंडाया हुआ होता है।
कटे बालों का औसतन वजन 500 किलो रोजाना काटे गए बालों को हर शिफ्ट के बाद तौला जाता है। एक दिन में काटे गए बालों का वजन औसतन 500 किलो होता है। कटे हुए बालों को लंबाई के हिसाब से करीब चार हिस्सों में बांटा जाता है। यहां तीन शिफ्टों में सैकड़ों नाई बाल काटते हैं, जिसमें 1500 पुरुष और 300 से ऊपर महिला होते हैं, ये सभी लगातार व्यस्त रहते हैं।
हर महीने 14 करोड़ की आमदनीहर महीने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम को कटे बालों से औसतन 14 करोड़ की आमदनी होती है यानी सालभर में 160 करोड़ रुपए के आसपास। हर महीने यहां बालों की नीलामी होती है। सितंबर में नीलामी से देवस्थानम को 13.64 करोड़ रुपयों की आमदनी हुई। इस बालों का उपयोग विग से लेकर कई तरह के सामान बनाने में होता है. यूरोप में इनकी खासी डिमांड है।
तिरुपति बालाजी में सिर मुंडवाने के लिए लंबी कतारयहां बाल कटाना आसान नहीं होता। लंबी लाइनें लगती हैं, घंटों इतंजार करना होता है, लेकिन सबकुछ बेहद सिस्टमेटिक है। भगवान बालाजी सरीखी मेगा केश कट्ट फैक्ट्री दुनिया में शायद कहीं हो।