नागासाकी पर नहीं होने वाला था परमाणु बम का हमला, जानें फिर क्यों हुआ ऐसा

By: Ankur Sun, 23 Feb 2020 3:12:43

नागासाकी पर नहीं होने वाला था परमाणु बम का हमला, जानें फिर क्यों हुआ ऐसा

आप सभी को वो यह तो पता ही हैं कि अमेरिका द्वारा 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया था जिसकी वजह से हिरोशिमा में एक लाख 40 हजार लोगों की मौत हुई थी, जबकि नागासाकी में हुए धमाके में करीब 74 हजार लोगों की मौत हुई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका द्वारा नागासाकी नहीं बल्कि परमाणु बम के हमले के लिए कोकुरा को चुना गया था। फिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से यह शहर निशाना बन गया, आइये जानते हैं इसके बारे में।

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आठ अगस्त, 1945 की रात बीत चुकी थी, अमेरिका के बमवर्षक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉक्स पर एक बम लदा हुआ था। यह बम किसी भीमकाय तरबूज-सा था और वजन था 4050 किलो। बम का नाम विंस्टन चर्चिल के संदर्भ में 'फैट मैन' रखा गया। इस दूसरे बम के निशाने पर था औद्योगिक नगर कोकुरा। यहां जापान की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा गोला-बारूद बनाने वाली फैक्ट्रियां थीं।

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सुबह नौ बजकर पचास मिनट पर नीचे कोकुरा नगर नजर आने लगा। इस समय बी-29 विमान 31,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। बम इसी ऊंचाई से गिराया जाना था, लेकिन नगर के ऊपर बादलों का डेरा था। बी-29 फिर से घूम कर कोकुरा पर आ गया। लेकिन जब शहर पर बम गिराने की बारी आई तो फिर से शहर पर धुंए का कब्जा था और नीचे से विमान-भेदी तोपें आग उगल रहीं थीं।

बी-29 का ईंधन खतरनाक तरीके से घटता जा रहा था। विमान में सिर्फ इतना ही ईंधन बचा था कि वापस पहुंच सकें। इस अभियान के ग्रुप कैप्टन लियोनार्ड चेशर ने बाद में बताया, 'हमने सुबह नौ बजे उड़ान शुरू की। जब हम मुख्य निशाने पर पहुंचे तो वहां पर बादल थे। तभी हमें इसे छोड़ने का संदेश मिला और हम दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़े जो कि नागासाकी था।' चालक दल ने बम गिराने वाले स्वचालित उपकरण को चालू कर दिया और कुछ ही क्षण बाद भीमकाय बम तेजी से धरती की ओर बढ़ने लगा। 52 सेकेंड तक गिरते रहने के बाद बम पृथ्वी तल से 500 फुट की उंचाई पर फट गया।

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घड़ी में समय था 11 बजकर 2 मिनट। आग का एक भीमकाय गोला मशरुम की शक्ल में उठा। गोले का आकार लगातार बढ़ने लगा और तेजी से सारे शहर को निगलने लगा। नागासाकी के समुद्र तट पर तैरती नौकाओं और बंदरगाह में खड़ी तमाम नौकाओं में आग लग गई। आस पास के दायरे में मौजूद कोई भी व्यक्ति यह जान ही नहीं पाया कि आखिर हुआ क्या है, क्योंकि वो इसका आभास होने से पहले ही मर चुके थे।

शहर के बाहर कुछ ब्रितानी युद्धबंदी खदानों मे काम कर रहे थे, उनमें से एक ने बताया, 'पूरा शहर निर्जन हो चुका था, सन्नाटा। हर तरफ लोगों की लाशें ही लाशें थी। हमें पता चल चुका था कि कुछ तो असाधारण घटा है। लोगों के चेहरे, हाथ-पैर गल रहे थे, हमने इससे पहले परमाणु बम के बारे में कभी नहीं सुना था।' नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6।7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई।

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