माता का अनोखा मंदिर जो मुसीबत आने से पहले कर देता है सचेत

By: Kratika Fri, 27 Apr 2018 5:09:41

माता का अनोखा मंदिर जो मुसीबत आने से पहले कर देता है सचेत

भारत में कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं। हर मंदिर अपना विशेष महत्व रखता हैं। मंदिर में देवी-देवताओं के भक्त प्राथना करते है कि वे आने वाली विपदाओं से बचाते रहे। और ऐसा होता भी है कि अगर कोई विपदा आने वाली होती है तो भगवान अपने संकेत देते हैं। जैसे कश्मीर में स्थित माता खीर भवानी का मंदिर। जहां के बारे में कहाँ जाता है की कोई आपदा आने से पहले इस मंदिर के कुंद के पानी का रंग काला हो जाता हैं। तो आइये जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी के बारे में।

श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित खीर भवानी मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं हैं, जो यहां की सुंदरता को बढाते हैं। मंदिर का नाम ये पड़ा क्योंकि यहां प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा केवल एक भारतीय मिठाई खीर और दूध ही चढ़ाया जाता है। अद्भुत है इस मंदिर का कुंड, देश पर संकट आने से पहले ही पानी हो जाता है काला। ऐसी मान्यता है कि किसी प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी के सदृश, आपदा के आने से पहले ही मंदिर के कुंड का पानी काला पड़ जाता है। खीर भवानी मंदिर श्रीनगर के तुल्लामुला में स्थित है। खीर भवानी मंदिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है तथा यह मंदिर माता रंगने देवी को समर्पित है।

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एक कथा के अनुसार रामायण काल में भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता जी को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर चढ़ाई करने का निश्चय किया। राम जी ने अपनी सारी सेना के साथ रावण के राज्य लंका पर हमला बोल दिया और युद्ध आरंभ हो गया। कहा जाता है कि उस समय देवी राघेन्या जी लंका में निवास कर रही थीं और जब युद्ध आरंभ हुआ तो उन्होंने हनुमान जी से कहा कि अब वह यहां पर रह नहीं सकतीं व उनका समय समाप्त हो चुका है। अत: वह उन्हें अब लंका से बाहर निकाल कर हिमालय से कश्मीर क्षेत्र में ले जाएं, जहां रावण के पिता पुलत्स्य मुनि निवास करते थे।

देवी ने शिला का रूप धारण कर लिया तथा हनुमान जी उन्हें अपने हाथों से उठाकर लंका से बाहर निकाल ले गए व हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में घूमने लगे। हनुमान जी उचित स्थान की खोज करने लगे तब उन्होंने इस स्थान को देखा तो यहीं पर देवी को स्थापित कर दिया। यहीं पर मां राघेन्या देवी विश्राम करने लगीं। कालांतर में यह स्थान उपेक्षा का शिकार हो गया था परंतु एक बार एक कश्मीरी पंडित को देवी राघेन्या ने नाग के रूप में दर्शन दिए तथा पंडित को उस स्थान तक ले गई जहां पर देवी का स्थान था। इसके बाद उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर में देवी की प्रतिमा स्थापित है। बाद में राजा प्रताप सिंह ने 1912 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

श्रीनगर में स्थित यह देवी मंदिर श्रद्धालुओं का पवित्र देवी धाम है। यहां पर हर साल मेले का आयोजन किया जाता है। देवी खीर भवानी मंदिर में कई उत्सवों का आयोजन किया जाता है। यहां देवी को प्रसाद के रूप में दूध-खीर चढ़ाया जाता है।

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