महिला पत्रकार जो पागलखाने का सच सामने लाने के लिए खुद हो गई पागल, सच्चाई ने सबको हिलाकर रख दिया

By: Ankur Thu, 21 Nov 2019 08:53:12

महिला पत्रकार जो पागलखाने का सच सामने लाने के लिए खुद हो गई पागल, सच्चाई ने सबको हिलाकर रख दिया

अक्सर देखा जाता हैं कि कई लोग अपने काम के प्रति इतने समर्पित होते हैं कि उसके लिए कुछ भी कर गुजरते हैं। ऐसा ही जज्बा देखने को मिला था 20वीं सदी की एक महिला पत्रकार में जो पागलखाने का सच सामने लाने के लिए खुद पागल हो गई थी। जी हां, इस महिला ने एक सामान्य इंसान मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के विषय में कैसे जानेगा इसके लिए यह काम किया। महिला पत्रकार की जिंदादिली ने इन संस्थानों के ऐसा राज खोले जिसने दुनिया को हिला कर रख दिया। तो आइये जानते हैं इस महिला पत्रकार के बारे में।

19वीं शताब्दी की वो महिला पत्रकार जिसने महिला मनोरोग अस्पतालों की भयानक स्थितियों को दुनिया के सामने लाने के लिए पर अपनी जान पर खेलकर काम किया था। वे खुद पागल बनकर 10 दिनों तक पागलखाने में रहीं थीं। 1887 में पत्रकार नेली ब्लाइ ने एक प्रयोग किया जिससे लोगों को पागलों की व्यथा का अंदाजा हो पाया। नेली न्यूयॉर्क विश्व समाचार पत्र के लिए एक अंडरकवर असाइनमेंट करने के लिए सहमत हुई, जिसका उद्देश्य न्यूयॉर्क में ब्लैकवेल द्वीप पर महिलाओं के पगलखाने की भयानक स्थितियों की जांच करना था। बाद में नेली ने पूरा अनुभव टेन डेज़ इन ए मैड-हाउस ’नामक अपनी पुस्तक में प्रकाशित किया था।

weird news,weird incident,journalist nellie bly ,अनोखी खबर, अनोखा मामला, महिला पत्रकार नेली ब्लाइ

उन्हें पागलपन विशेषज्ञों को धोखा देने की अपनी क्षमता पर बहुत कम विश्वास था। पागलखाने में रहने के लिए, नेली को एक 'पागल औरत' के रूप में खुद को करना था, और वो आसान नहीं था। वह पूरा दिन शीशे के सामने पागल बनने का अभ्यास करने में बिताती थी, उन्होंने नहाना भी बंद कर दिया था। एक बार जब नेली को खुद पर विश्वास हो गया तो नेल्ली ब्राउन नाम से महिलाओं के पागलखाने में खुद को पंजीकृत किया और स्टिंग ऑपरेशन शुरू कर दिया। नेली ने 10 दिन पागलखाने में बिताए और जो कुछ उन्होंने देखा वह उससे सदमे लगा।

अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा कि बुरी तरीके से रोगियों को यातनाएं दी जाती थीं। जैसे मरीजों को अतिरिक्त कपडे नहीं दिए जाते थे और ठंड में छोड़ दिया जाता था। दिए गए आदेशों का पालन न करने पर महिलाओं को लगातार मारा जाता था। नेली ने यह भी उल्लेख किया है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए गए थे। उचित देखभाल के बजाय रोगियों को रस्सियों में बांध दिया जाता था।

अपनी रिहाई के कुछ समय बाद, नेली नै अपनी पुस्तक प्रकाशित की जिसमें उन्होंने सभी यातनाओं को लिखा जो पागलखाने में सहीं।पुस्तक जल्दी से हिट हो गई और जूरी द्वारा जांच की गई। जूरी ने सार्वजनिक धर्मार्थ विभाग और सुधार विभाग के बजट में $ 850.000 की वृद्धि की और यह भी सुनिश्चित किया कि भविष्य में केवल गंभीर रूप से बीमार रोगी ही पागलखाने जाएंगे।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i
lifeberrys हिंदी पर देश-विदेश की ताजा Hindi News पढ़ते हुए अपने आप को रखिए अपडेट। Viral News in Hindi के लिए क्लिक करें अजब गजब सेक्‍शन

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com