93 साल से चल रहा दुनिया का सबसे लंबा यह वैज्ञानिक प्रयोग, बना हुआ रहस्य

By: Ankur Sat, 14 Mar 2020 11:04:37

93 साल से चल रहा दुनिया का सबसे लंबा यह वैज्ञानिक प्रयोग, बना हुआ रहस्य

दुनिया में कई अविष्कार हुए हैं जिसके पीछे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत होती हैं। हर वैज्ञानिक चाहता हैं कि उनके अविष्कार का निष्कर्ष बहुत जल्द सामने आए। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे अविष्कार के बारे में बताने जा रहे हैं जो 93 साल से लगातार चल रहा है और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला प्रयोग बना हैं। ऑस्ट्रेलिया में यह प्रयोग 93 साल से लगातार चल रहा है। इस प्रयोग का नाम 'पिच ड्रॉप' है, जिसकी शुरुआत 1927 में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में स्थित क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस पर्नेल ने की थी। थॉमस पर्नेल क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी में भौतिकी के पहले प्रोफेसर थे। एक सितंबर 1948 को उनकी मौत हो गई, लेकिन उनका प्रयोग अनवरत जारी है।

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इस प्रयोग के तहत तार पिच नाम के तरल पदार्थ को एक फ्लास्क में रखा गया है और उसकी बूंदें गिरने के लिए छोड़ दी गई हैं। दरअसल, 'पिच' एक अत्यधिक चिपचिपा तरल पदार्थ का नाम है जो ठोस दिखाई देता है, लेकिन असल में यह लिक्विड होता है। यह ठीक वैसे ही होता है जैसे कि कोलतार। यह प्रयोग करने के पीछे शोधकर्ताओं का मकसद ये जानना था कि आखिर तार पिच की एक बूंद कितने समय में नीचे गिरती है। 1927 से अब तक यानी 93 साल में इसकी महज नौ बूंदें ही गिरी हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज तक इसकी एक भी बूंद फ्लास्क से नीचे गिरते किसी ने नहीं देखी है। एक बार इस एतिहासिक लम्हे को कैद करने के लिए वेब कैमरा भी लगाया गया था, लेकिन आखिरी मौके पर कैमरा ही खराब हो गया था।

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दिसंबर 1938 में तार पिच की पहली बूंद फ्लास्क से नीचे गिरी थी। इसके बाद दूसरी बूंद फरवरी 1947 में (8.2 साल बाद), तीसरी बूंद अप्रैल 1954 (7.2 साल बाद), चौथी बूंद मई 1962 (8.1 साल बाद), पांचवीं बूंद अगस्त 1970 (8.3 साल बाद), छठी बूंद अप्रैल 1979 (8.7 साल बाद), सातवीं बूंद जुलाई 1988 (9.2 साल बाद), आठवीं बूंद नवंबर 2000 (12.3 साल बाद) और नौवीं बूंद अप्रैल 2014 (13.4 साल बाद) में गिरी थी। माना जा रहा है कि अभी फ्लास्क में इतनी तार पिच है कि इस प्रयोग को कम से कम 100 साल तक जारी रखा जा सके।

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के अलावा आयरलैंड के त्रिनिटी कॉलेज में भी इसी तरह का एक प्रयोग अक्तूबर 1944 में शुरू किया गया था, जो अब भी चल रहा है। इसके तार पिच के बारे में जानकारी है कि उसकी बूंद फ्लास्क से नीचे कब गिरी थी। 11 जुलाई 2013 को शाम पांच बजे के करीब तार पिच की बूंद फ्लास्क से नीचे गिरी थी, जिसे कैमरे में रिकॉर्ड किया गया था। यह पहली बार था, जब किसी तार पिच की बूंद को नीचे गिरते देखा गया था।

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