भारत में अपनाया जा रहा कोरोना की जांच का यह अनोखा तरीका

By: Ankur Wed, 08 Apr 2020 2:30:58

भारत में अपनाया जा रहा कोरोना की जांच का यह अनोखा तरीका

देशभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा हैं और इसकी रोकथाम के लिए सरकारों द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्टिंग की ओर ध्यान दिया जा रहा हैं। ऐसे में कोरोना की जांच के लिए केरल के कोच्चि शहर के डॉक्टरों द्वारा अनोखा तरीका अपनाया जा रहा हैं जो कि दक्षिण कोरियाई मॉडल से प्रेरित हैं। यहाँ कोविड-19 की जांच के लिए सैंपल एकत्रित करने के लिए खास कियोस्क तैयार किए हैं, जहां जाकर कोई भी अपने सैंपल जमा करा सकता है।

भारत में केरल में पहली बार इस तरह के कियोस्क लगाए जा रहे हैं जिन्हें 'वॉक इन सैंपल कियोस्क्स (विस्क)' कहा जा रहा है। इस व्यवस्था में ये ध्यान रखा गया है कि सैंपल जांच कराने आए शख्स और स्वास्थ्यकर्मी के बीच किसी तरह का कोई संपर्क नहीं होगा। इसमें एक पारदर्शी सतह भी लगाई गई है, जिसके जरिए यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि स्वास्थ्यकर्मी किसी तरह संक्रमित नहीं हों। कोच्चि के कलामसेरी मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल के रेजीडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) डॉ. गणेश मोहन ने बताया, 'अगर एक पल के लिए कोरोना वायरस संक्रमण को भूल भी जाएं तो भी स्वास्थ्यकर्मियों के हमेशा संक्रमित होने का खतरा बना रहता है चाहे वह एच1एन1 हो या फिर चिकन पॉक्स या फिर कोई दूसरा संक्रमण। हमारी कोशिश है कि हम स्वाब कलेक्शन (मुंह से थूक के नमूना इकट्ठा करने) की प्रक्रिया को सुरक्षित बनाएं।'

इस कियोस्क में एक मैग्नेटिक दरवाजा लगा है, जिसके अंदर पंखा लगा हुआ है। यहां के स्वास्थ्यकर्मी को फ्रेश ग्लव्स पहनने की भी जरूरत नहीं होगी। स्वास्थ्यकर्मी को अपने हाथ कियोस्क पर बने दो खोंलों में डालने हैं। ये खोल बाहर लटकते दो ग्लव्स से जुड़े हैं। इस तरह स्वास्थ्यकर्मी कियोस्क के बाहर खड़े मरीज को बिना छुए उनके सैंपल को एकत्रित कर सकते हैं।

डॉ. गणेश मोहन ने बताया, 'हमने फोन बूथ के बेसिक मॉडल को अपनाया है। दक्षिण कोरिया में बने कियोस्क की तस्वीरों से भी हमें प्रेरणा मिली। हमने इसमें घूमने वाले पहिए लगाए हैं ताकि इसे वाहनों पर आसानी से उतारा और चढ़ाया जा सके। इसके चलते इसे ग्रामीण इलाकों, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर भी रखना संभव हो सकेगा।'

डॉ. मोहन के मुताबिक, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति होने या ज्यादा लोगों की टेस्ट के लिए बड़ी संख्या में सैंपल एकत्रित करने के लिहाज से ये कियोस्क कारगर साबित होंगे। डॉ. गणेश मोहन ने बताया, 'इन कियोस्क के जरिए हम प्रति दिन 500 से 600 सैंपल एकत्रित कर सकते हैं। इसके अगले मॉडल में एक इंफ्रारेड थर्मामीटर लगाने की कोशिश करेंगे ताकि इसका इस्तेमाल रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, ग्रामीण इलाकों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किया जा सके।'

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