नलास शिव मंदिर : चमत्कारी मंदिर जहां स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग
By: Ankur Fri, 17 Aug 2018 10:55:38
भगवान भोलेनाथ को अपने चमत्कारों ओर भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए जाना जाता हैं। इसलिए सावन के इन दिनों में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता हैं और सभी भक्तगण चाहते हैं कि भगवान शिव उनकी पुकार सुने और हर मुराद पूरी करें। इसके लिए वे शिव के चमत्कारी मंदिरों के दर्शन करने जाते हैं। इसलिए आज हम आपके लिए ऐसे ही एक चमत्कारी मंदिर को लेकर आए हैं जिसमें शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए थे। तो आइये जानते है इस मंदिर के बारे में।
ये मंदिर हैं, पंजाब के राजपुरा का प्राचीन शिव मंदिर नलास। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेला लगता है और मेले में लाखों लोग मन्नत मांगने के लिए आते हैं। राजपुरा से करीब आठ किलोमीटर दूर बसे गांव नलास में शिव मंदिर 550 वर्ष पुराना प्राचीन है।
ऐसी मान्यता है कि यहां स्वयं शिवलिंग प्रकट हुआ था। किवंदती है कि गांव नलास में एक गुज्जर के पास कपिला गाय थी। जब वह जंगल में चरने जाती और घर वापस आने से पहले एक झाड़ी के पीछे जाने से उसका दूध अपने आप बहना शुरू हो जाता था। वह थन खाली होने के बाद ही वापस घर आती। एक दिन गाय के मालिक गुज्जर ने क्रोध में आकर उस झाड़ी की खुदाई आरंभ कर दी।
खुदाई करते समय वहां निकले शिवलिंग पर कस्सी के प्रहार से खून की धार बह निकली। कहा जाता है कि उस समय वट वृक्ष के नीचे स्वामी कर्मगिरी तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या भंग हो गई तो उन्होंने उस वक्त के महाराजा पटियाला कर्म सिंह को सारी बात बताकर खुदाई करवाई तो शिवलिंग प्रकट हुआ। संवत 1592 में महाराजा पटियाला ने मंदिर बनवाया व कर्मगिरी को मंदिर का महंत नियुक्त किया गया।
मंदिर केप्रांगण में 140 फुट ऊंचा त्रिशूल स्थापित किया गया है। मंदिर के मुख्य सेवादार महंत इंद्र गिरी महाराज व महंत लाल गिरी महाराज ने बताया कि शुद्ध स्टील से बने इस त्रिशूल को स्थापित करने के लिए क्रेन की मदद ली गई है। इसी स्थान पर भगवान शिवजी की 108 फुट ऊंची स्थापित है। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रांगण में लगे 500 वर्ष पुराने बोहड़ के वृक्ष पर जो भी शिव भक्त लाल धागा (मौली) बांधकर मन्नत मानता है तो भोले बाबा उसकी इच्छा अवश्य पूरी करते हैं।