आखिर क्या हैं नदी में इन हजारों शिवलिंग के पीछे का रहस्य

By: Ankur Sun, 10 May 2020 3:32:15

आखिर क्या हैं नदी में इन हजारों शिवलिंग के पीछे का रहस्य

भारत देश को अपने अनोखेपन के लिए जाना जाता हैं जहाँ कई ऐसी जगहें है जो अपनी विचित्रता के लिए जानी जाती हैं। ऐसी ही एक अनोखी जगह हैं कर्नाटक में जहाँ एक नदी के अंदर हजारों शिवलिंग देखने को मिलते हैं। यह जगह अपनेनाप में अनोखी हैं और यहां एकसाथ कई शिवलिंग के दर्शन करने का अवसर प्राप्त होता हैं। अब सवाल उठता हैं कि नदी में हजारों शिवलिंग आए कहाँ से। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

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इस पवित्र स्थल को सहस्त्रलिंग कहा जाता है, जो कर्नाटक के सिरसी से 14 किलोमीटर दूर बसा है। यहीं पर शलमाला नदी के तट पर एक हजार से अधिक प्राचीन शिवलिंग और उसके साथ ही पत्थरों पर उकेरे हुए नंदी बैल (भगवान शिव की सवारी) की प्रतिमा के दर्शन होते हैं।

कहते हैं कि नदी के तट पर इन शिवलिंगों और प्रतिमाओं का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजा सदाशिवराय वर्मा ने वर्ष 1678 से लेकर 1718 के बीच करवाया था। यहां हर साल महाशिवरात्री पर मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

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वैसे तो यहां मौजूद शिवलिंग और चट्टानों पर बनी आकृतियां बारिश के मौसम में नदी के पानी में डूबी रहती हैं, लेकिन जैसे ही जलस्तर घटने लगता है, हजारों की संख्या में शिवलिंग अचानक दिखने लगते हैं। यह नजारा वाकई अद्भुत होता है।

सहस्त्रलिंग जैसा ही नजारा कंबोडिया में भी एक नदी में देखने को मिलता है। इस जगह की खोज साल 1969 में जीन बोलबेट ने की थी। माना जाता है कि यहां शिवलिंग राजा सूर्यवर्मन प्रथम के समय पर बनना शुरू हुआ था और राजा उदयादित्य वर्मन के समय तक पूरी तरह बनकर तैयार हो गया। 11वीं और 12वीं सदी में इन राजाओं ने कंबोडिया पर राज किया था।

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