पूरी दुनिया में सिर्फ एक महिला ही जानती हैं यह अनोखी भाषा
By: Ankur Sat, 03 Oct 2020 2:14:08
इस दुनिया में कई देश हैं जहां विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है। हर क्षेत्र की अपनी अलग बोली हैं। दुनियाभर में लगभग 6,900 से भी ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। लेकिन समय के साथ कई भाषाएं ऐसी हैं जो विलुप्त होती जा रही हैं और अस्तित्व ख़तम होने की कगार पर हैं। आज इस कड़ी में हम भी आपको एक ऐसी ही अनोखी भाषा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे बोलने वाली पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही महिला हैं। हम बात कर रहे हैं अर्जेंटीना के एक द्वीप की मूल भाषा यघान के बारे में जो अब लगभग गायब हो चुकी है।
यघान भाषा को लेकर हैरान करने वाली बात ये है कि इसे बोलने वाला एक ही शख्स जीवित है, जो एक महिला है। बता दें कि यघान भाषा को अर्जेंटीना और चिली के बीच बसे टिएरा डेल फ्यूगो नामक द्वीप पर रहने वाले आदिवासी बोला करते थे। इस भाषा को संस्कृत से मिलता-जुलता माना जाता है। हालांकि, अब इसे बोलने वाली एकमात्र बुजुर्ग महिला है।
इस भाषा को बोलने वाली इस महिला का नाम क्रिस्टिना काल्डेरॉन है। क्रिस्टिना को स्थानीय लोग अबुइला बुलाते हैं। अबुइला एक स्पेनिश शब्द है, जिसका अर्थ दादी मां होता है। क्रिस्टिना के परिवार के बाकी सदस्य स्पेनिश या अंग्रेजी जैसी भाषाएं बोलते हैं। हालांकि, परिवार के कई सदस्य भाषा समझते तो हैं, लेकिन बोल नहीं पाते हैं।
यघान भाषा के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए क्रिस्टिना को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। साल 2009 में चिली सरकार ने उन्हें Living Human Treasure की उपाधि दी। यह उपाधि उन लोगों को मिलती है, जिन्होंने कल्चर को सहेजने में बेहद बड़ी भूमिका निभाई हो।
बता दें कि यघान एक भाषा ही नहीं बल्कि एक बंजारा समुदाय का नाम था, जो दक्षिणी अमेरिका से होते हुए चिली और अर्जेंटिना तक पहुंच आए। पुर्तगालियों ने सबसे पहले साल 1520 में इस कबीले के बारे में पता लगाया था। आज के समय में क्रिस्टिना यघान भाषा को सरकारी मदद से जिंदा रखने की मुहिम चला रही हैं। क्रिस्टिना अर्जेंटिना के स्कूलों में छोटे बच्चों को ये भाषा सिखाने का काम करती हैं।
ये भी पढ़े :
# इस अनोखी कलाकारी की तारीफ कर चुके हैं प्रधानमंत्री मोदी, कमल के डंठल से यह लड़की बनाती हैं मास्क
# दुनिया की इस खतरनाक जगह पर इंसान ही नहीं जानवरों के जाने पर भी है पाबंदी, 100 साल से नहीं गया कोई
# ऐसे ही आसानी से नहीं मिला था 'रविवार का साप्ताहिक अवकाश', हुआ था बहुत बड़ा जन आंदोलन
# अंतरिक्ष से भी अमेरिकी चुनाव में हिस्सा लेते हैं एस्ट्रॉनॉट्स, इस सीक्रेट तरीके से देते हैं वोट