गांव जहां लगता भूतों का मेला, पेड़ दिलाता प्रेतों से मुक्ति, दी जाती है मुर्गे और बकरी की बली
By: Priyanka Maheshwari Sun, 17 Nov 2019 09:25:52
विज्ञान और तकनीक के इस युग में आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे है जिसकों जानने के बाद आप सोचने में पड़ जायेगे। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छिंदवाड़ा में तालखमरा गांव में भूतों का मेला लगता है और इस मेले का आयोजन छिंदवाड़ा से 80 किमी दूर तालमखरा में होता है। यह मेला देवउठनी एकादशी के दिन शुरू होता है और अगले 10 दिनों तक चलता है। इस मेले में दावा किया जाता है कि यहां प्रेत बाधा से परेशान और मानसिक रोगियों का तंत्र-मंत्र के जरिए उपचार किया जाता है। इस मेले में तांत्रिक तंत्र-मंत्र के जरिए लोगों का इलाज करते हैं और उन्हें भूतों से मुक्त कराते हैं। इसलिए इस गांव के मेले को भूतों का मेला कहा जाता है। यहां प्रेत बाधा से परेशान शख्स का इलाज मंत्रों की शक्ति के जरिए किया जाता है।
इस मेले में प्रेत बाधा से परेशान शख्स को सबसे पहले तालाब में डुबकी लगवाई जाती है उसके बाद उस शख्स को एक वटवृक्ष से कच्चे धागे से बांध दिया जाता है। इस वटवृक्ष का नाम दईयत बाबा है। इसके बाद तांत्रिक पूजा की जाती है। यह सब होने के बाद पीड़ित शख्स मालनमाई मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करता है जिसके बाद यह दावा किया जाता है कि वह शख्स पूरी तरह ठीक हो गया है। तकनीक और विज्ञान के इस युग में भी अंधविश्वास होने की वजह से प्रेत बाधा से परेशान यहां पहुंचे कई व्यक्तियों ने दावा किया कि तालखमरा मालन माई मंदिर में आने के बाद उन्हें प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है।
10 दिनों तक चलने वाले इस मेले में प्रेत बाधा दूर करने वाले तांत्रिक रुधिल का कहना है कि यहां रोजाना 30 से 40 लोगों का तंत्र-मंत्र के जरिए इलाज किया जाता है और यहां आने के बाद कई रोगियों के रोग खत्म हो गए हैं जबकि जिन्हें संतान नहीं होते उन्हें भी उसकी प्राप्ति होती है।
इस मेले में सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि इस भूतों के मेले में आने वाले प्रेत बाधा से पीड़ित लोग ठीक होने के बाद दैय्यत बाबा को मुर्गे और बकरे की बलि देते हैं। मेला क्षेत्र में मुर्गा बेचने वाले कारोबारी ने दावा किया कि दिनभर में 30 से 40 मुर्गों की बली दी जाती है।