इस एफआईआर को लिखने में लगे 4 पुलिसवाले और 7 दिन, बनी देश की सबसे बड़ी FIR

By: Ankur Wed, 09 Oct 2019 09:49:35

इस एफआईआर को लिखने में लगे 4 पुलिसवाले और 7 दिन, बनी देश की सबसे बड़ी FIR

यह तो आप सभी जानते ही होंगे की जब भी कोई मामला पुलिस के सामने जाता हैं तो एफआईआर लिखी जाती हैं और उसमें उस मामले से जुड़ी जानकारी दी जाती हैं। अब जरा आप सोचिये कि एफआईआर लिखने में कितना टाइम जाता होगा जबकि आजकल तो एफआईआर भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर पर लिखी जाती हैं। लेकिन एक ऐसी एफआईआर है जिसे लिखने में कई पुलिसवाले और 7 दिन लगे हैं और यह देश की सबसे बड़ी FIR बन चुकी हैं। यह एफआईआर थी अटल आयुष्मान घोटाले में दो अस्पतालों के खिलाफ जो कि उत्तराखंड की काशीपुर कोतवाली में लिखी जा रही थी। हिंदी और अंग्रेजी भाषा की भेजी गई दोनों एफआईआर लिखने में मुंशियों की हालत खराब हो रही थी। पुलिस के एफआईआर टाइप करने वाले कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की क्षमता 10 हजार शब्दों से अधिक नहीं होती, इसलिए इसे हाथों से लिखा जा रहा है। थाने के 4 मुंशी लगातार इसे पूरा करने में जुटे थे।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत एमपी अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में दोनों अस्पतालों के संचालकों की ओर से नियम के खिलाफ रोगियों के फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूलने का मामला पकड़ में आया था। एमपी अस्पताल में रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीज कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाए गए।

आईसीयू में भी क्षमता से अधिक रोगियों का इलाज होना पाया गया। डायलिसिस केस एमबीबीएस डॉक्टर की ओर से किया जाना बताया गया। मरीजों की संख्या अस्पताल की क्षमता से कई गुना बढ़ाकर दिखाने की कोशिश की। कई मामलों में बिना इलाज किए भी क्लेम ले लिया गया, जिसकी जानकारी मरीज को भी नहीं है।

उत्तराखंड आयुष्मान योजना के अधिशासी सहायक धनेश चंद्र ने दोनों अस्पताल संचालकों के खिलाफ पुलिस को शिकायत सौंपी थी। इसमें से एक शिकायत 64 पन्ने की है, तो दूसरी करीब 24 पन्नों की। एडिशनल एसपी जगदीश चंद्र ने कहा कि वास्तव में ये शिकायत जांच रिपोर्ट की मूल कॉपी है, जिसमें सारे तथ्य हैं। इससे छेड़छाड़ न हो इसलिए नकल की जा रही है।

पुलिस की परेशानी एफआईआर को लिखने तक ही सीमित नहीं है। इतनी बड़ी एफआईआर की विवेचना होगी तो कम से कम एक पर्चा कटने में ही 15 दिन लग सकते हैं, जबकि विवेचना की समय सीमा 3 महीने रखी गई है जो किसी भी तरह से पूरी नहीं हो सकती है। पुलिस के लिए एफआईआर दर्ज करने के बाद इसकी विवेचना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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