नौ महीने की गर्भवती मजदूर महिला ने सड़क पर ही दिया बच्चे को जन्म, फिर उठाकर घर चल पड़ी

By: Pinki Mon, 11 May 2020 3:36:24

नौ महीने की गर्भवती मजदूर महिला ने सड़क पर ही दिया बच्चे को जन्म, फिर उठाकर घर चल पड़ी

लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े है। ऐसे में कई मजदूरों को रास्तें में हादसों का सामना भी करना पड़ रहा है। ऐसी ही एक 30 साल की महिला मजदूर महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश के सतना जिले स्थित अपने गांव के लिए पैदल ही निकल पड़ी। लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा होने पर महिला ने सड़क किनारे एक बच्ची को जन्म दिया। महिला प्रसव के मात्र 2 घंटे बाद ही वापस अपने गांव की तरफ चल पड़ी। चौंकाने वाला यह वाकया मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सामने आया। लॉकडाउन में नासिक से 30 किलोमीटर पहले से पैदल चल कर कर आ रही दो मजदूरों की पत्नियां गर्भवती थी जिसमें से एक महिला शकुंतला नौ महीने गर्भवती थी। इस महिला ने महाराष्ट्र के पीपरी गांव में बच्चे को जन्म दे दिया।

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सड़क किनारे ही साथ चल रही महिलाओं ने साड़ी की आड़ कर महिला का प्रसव कराया। बिना हॉस्पिटल जाए, बगैर जच्चा-बच्चा के चेकअप और बगैर किसी डॉक्टर को मिले बच्चे के जन्म के बाद महिला फिर भूखे-प्यासे ही पैदल सफर पर चल दी।

यह परिवार पैदल चलते हुए रविवार को मध्य प्रदेश के सेंधवा पहुंचे। इसके साथ में चल रहे अन्य मजदूर की पत्नी 8 माह के गर्भ से थी लेकिन इस चिलचिलाती धूप में अपने सफर को जारी रखे हुए थी।

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शकुंतला के पहले से चार बच्चे हैं, ये उसका पांचवा बच्चा है। वह अपने पति एवं चार बच्चों के साथ सतना के समीप ग्राम उचेरा के लिए निकली थी। प्रसव के बाद ऐसी स्थिति में शकुंतला ने फिर से चलना शुरू कर दिया और रविवार शाम मध्यप्रदेश के सेंधवा पहुंचे। महिला ने प्रसव के पहले करीब 70 किमी और प्रसव के बाद 160 किमी पैदल ही यात्रा पूरी की।

पैदल चलते-चलते आखिर यह सेंधवा पंहुच गए। इन सभी को सतना जाना है। मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र के बॉर्डर पर ग्रामीण थाना प्रभारी की नजर उन पर पड़ी। इन लोगों से बातचीत और इनका दर्द को समझने के बाद उच्च अधिकारियों से बात कर इन्हें क्वारनटीन सेंटर लाया गया। बाद में दोनों महिलाओं को सेंधवा के शासकीय हॉस्पिटल में दिखाया गया।

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महिला के पति राकेश ने बताया कि हम नासिक से 30 किलोमीटर दूर रहते थे। वहां से आ रहे हैं और एमपी के सतना जिले में पैदल जा रहे हैं। मेरे साथ में मेरी पत्नी है और बच्चे हैं। वहां से चले और पीपरी गांव तक पहुंचे तो मेरी बीवी की डिलीवरी हो गई। बाई लोगों ने उसे पकड़ के साइड में लिया और साड़ियों की आड़ में डिलीवरी कराई। हम वहां 2 घंटा रुके और फिर अपने गांव अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर पैदल चल दिए।

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