विशाखापट्टनम / जिस गैस ने मचाई तबाही, जानें कितनी खतरनाक है
By: Pinki Thu, 07 May 2020 1:42:32
आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम के वेंकटपुरम गांव में गुरुवार सुबह करीब 2:30 बजे केमिकल फैक्ट्री से स्टाइरीन गैस लीक होने से 8 लोगों की मौत हो गई। इनमें एक बच्चा भी शामिल है। गैस एलजी पॉलिमर्स के प्लांट से लीक हुई। स्टाइरीन गैस प्लास्टिक, फाइबर ग्लास, रबर और पाइप बनाने में इस्तेमाल होती है। गांव के लोगों ने बताया कि गैस का असर प्लांट के आसपास तीन से चार किमी इलाके में रहा। इस हादसे के बाद 1000 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। एहतियातन 6 गांवों को खाली करा लिया गया है। वहीं यह भी खबर आ रही है कि प्लांट से गैस का रिसाव एक बार फिर शुरू हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने हालात का जायजा लेने के लिए आपदा प्रबंधन की बैठक बुलाई है। पीएम मोदी ने ट्ववीट कर लिखा, 'मैंने विशाखापट्टनम की स्थिति के बारे में MHA (गृह मंत्रालय) और NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के अधिकारियों से बात की है जिस पर कड़ी नज़र रखी जा रही है। मैं विशाखापट्टनम में सभी की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं।'
आपको बता दे, स्टाइरीन बहुत ही ज्वलनशील होती है और जब यह जलती है तो बहुत ही जहरीली गैस रिलीज करती है।
स्टाइरीन गैस का शरीर पर असर
- सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों पर बुरा असर, घुटन महसूस होना
- शरीर पर रैशेज
- आखों में जलन
- उल्टी
- बेहोशी
- सुनने की क्षमता खत्म होना
- दिमागी संतुलन बिगड़ना
- रीढ़ की हड्डी पर भी असर होना
स्टाइरिन गैस कितनी ख़तरनाक?
- ये गैस प्लास्टिक, पेंट, टायर जैसी चीज़ें बनाने में इस्तेमाल
- शरीर में जाने से जलन, सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर सीधा असर
- स्टाइरीन गैस बच्चों, सांस से मरीज़ों के लिए बेहद ख़तरनाक
ऐसी स्थिति में क्या बरतें सावधानी
- दौड़ना बिलकुल नहीं चाहिए
- मुंह के ऊपर गीला कपड़ा रखना चाहिए
- मरीज को लिटाकर लंबी-लंबी सांस दिलवानी चाहिए, यदि वो सांस न ले पाए तो ऑक्सीजन की सहायता लेनी चाहिए
कुछ डॉक्टरों का कहना है कि स्टाइरिन न्यूरो-टॉक्सिन गैस है, जिसके संपर्क में आने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है। इससे 10 मिनट के भीतर प्रभावित व्यक्ति की मौत हो सकती है।