विहिप ने मोदी सरकार को दी डेडलाइन, कहा - राम मंदिर निर्माण के लिए जल्द लाएं अध्यादेश
By: Priyanka Maheshwari Sat, 06 Oct 2018 08:44:57
इसी महीने से राम जन्मभूमि मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शुरू होने जा रही सुनवाई के पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए वह ‘अंतिम लड़ाई’ लड़ रही है और इस वर्ष के अंत तक संसद में एक अध्यादेश लाने के लिए भाजपा नीत केन्द्र सरकार के लिए एक ‘समय सीमा’ तय की गई है। राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में विहिप की उच्च स्तरीय समिति की यहां हुई एक दिवसीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें संसद में एक अध्यादेश लाने की मांग की गई, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित स्थल पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता निकालेगा। विहिप के बैनर तले साधु-संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर संसद में कानून बनाकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने का अनुरोध किया। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने साफ कर दिया कि कानून बनाकर मंदिर निर्माण की मांग सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के खिलाफ नहीं है। राम मंदिर का मुद्दा गरमाना यूं तो चुनाव से ही जोड़ा जाएगा लेकिन आलोक कुमार ने इसे केवल आस्था और लंबे इंतजार के बाद कार्रवाई से जोड़ा।
उन्होंने कहा कि विहिप की यह मांग सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के विरोध में नहीं है और उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। इसी भरोसे के कारण है कि उडुपी की धर्म संसद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक कोई आंदोलन नहीं करने का निर्णय लिया गया था। विहिप को उम्मीद थी कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा अपने कार्यकाल में ही इस पर फैसला सुना देंगे। लेकिन मंदिर के खिलाफ खड़ी 'मायावी' ताकतों ने ऐसा नहीं होने दिया। अदालत के भीतर तरह-तरह के प्रपंच किये गए। केस से कहीं से संबंध नहीं रखने वाले विषय भी उठाए गए। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार के लिए इस वर्ष के अंत तक संसद में अध्यादेश लाये जाने की ‘‘समयसीमा’’ तय की गई है। पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार को ‘राम भक्तों’ में से एक के रूप में वर्णित करते हुए विहिप नेता ने उम्मीद जतायी कि देश में करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को स्वीकार किया जायेगा और ‘‘2018 के सूर्यास्त से पहले’’ कानून लाया जायेगा। कुमार ने कहा,‘‘यदि ऐसा नहीं होता है तो इसके बाद हमारे पास सभी विकल्प हैं। इलाहाबाद में महाकुंभ के इतर अगले वर्ष होने वाली दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ के दौरान भविष्य की रणनीति पर निर्णय लिया जायेगा। राहुल गांधी और कांग्रेस का नाम लिये बगैर उन्होंने कहा कि 'एक बड़ी पार्टी के नेता खुद को जनेऊ धारी बता रहे है और कैलाश मानसरोवर जा रहे हैं। पार्टी के पोस्टरों में उन्हें राम भक्त बताया जा रहा है। यदि वे समर्थन कर देते हैं तो कानून के मार्फत मंदिर निर्माण की राह आसान हो जाएगी।' आलोक कुमार ने दिल्ली में राममंदिर से जुड़े संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में तय की गई आंदोलन की रूपरेखा की जानकारी दी। इसके तहत राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के बाद देश भर में सभी साधु-संत अपने-अपने राज्यों में राज्यपाल को इसीतरह का ज्ञापन देंगे।
इसके बाद नवंबर में सभी लोकसभा क्षेत्रों में संतों के नेतृत्व में विशाल जन-सभाएं की जाएंगी और उसके बाद सांसदों को ज्ञापन देकर संसद के भीतर राम मंदिर कानून के लिए समर्थन की मांग की जाएगी। राम मंदिर के निर्माण से आम जनता को जोड़ने के लिए गीता जयंती के बाद दो हफ्ते तक देश भर में धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। विहिप के अनुसार सभी मंदिरों, मठों, आश्रमों, गुरुद्वारों और यहां तक कि घरों में भी भव्य राममंदिर निर्माण के लिए अनुष्ठान किये जाएंगे। ज्ञापन, अनुष्ठान और जन समर्थन जुटाने से भी राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून नहीं बनने की स्थिति में अगले धर्म संसद में आगे की रणनीति तय की जाएगी। आलोक कुमार ने कहा कि अगली धर्म संसद कुंभ के दौरान इलाहाबाद में अगले साल 31 जनवरी और एक फरवरी को होगी।