3 राज्यों में BJP की हार पर नितिन गडकरी का बेबाक कमेंट, 'सफलता के कई पिता हैं, लेकिन विफलता अनाथ है'

By: Priyanka Maheshwari Sun, 23 Dec 2018 10:14:09

3 राज्यों में BJP की हार पर नितिन गडकरी का बेबाक कमेंट, 'सफलता के कई पिता हैं, लेकिन विफलता अनाथ है'

पिछले दिनों बीजेपी के नेताओं को मीडिया से बातचीत में कम बोलने की सलाह देने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बार खुद तीन राज्यों में मिली पार्टी की हार पर बेबाकी से राय रखी है। दरहसल, तीन राज्यों में हार के बाद बीजेपी में विरोध की सुगबुगाहट दिखने लगी है। पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक असोसिएशन लिमिटेड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इशारों-इशारों में गडकरी ने कहा कि कोई भी सफलता की तरह विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है। सफलता के कई पिता हैं, लेकिन विफलता अनाथ है। जब भी सफलता मिलती है को उसका श्रेय लूटने की होड़ मच जाती है, लेकिन जब विफलता होती है तो हर कोई एक दूसरे पर उंगली उठाना शुरू कर देता है।

'महागठबंधन उन लोगों का गठबंधन है जो एनीमिक, कमजोर और हारे हुए हैं, 2019 में मोदी की अगुवाई में बीजेपी की विजय होगी'

नितिन गडकरी ने बुधवार को 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष के प्रस्तावित ‘महागठबंधन’ का परिहास उड़ाते हुए कहा कि यह कमजोरों की एकजुटता है और नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सामूहिक विपक्ष का सामना करते हुए भी जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा, ‘महागठबंधन उन लोगों का गठबंधन है जो एनीमिक, कमजोर और हारे हुए हैं। ये लोग हैं जिन्होंने कभी एक दूसरे को ‘नमस्कार’ नहीं कहा, एक दूसरे को देखकर कभी मुस्कराए नहीं या एक दूसरे के साथ चाय तक नहीं पी।’

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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। बैंक के संदर्भ में बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि कई बार बैंक सफल हो जाते हैं तो कई बार बैंक बंद भी हो जाते हैं। संस्थान को दोनों ही स्थितियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन राजनीति में जब सफलता मिलती है तो उसका श्रेय लेने की होड़ लग जाती है और जब हार से सामना होता है तो कोई भी आपसे पूछने नहीं आता है।

राजनीति पर बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा का चुनाव। कोई भी प्रत्याशी हार जाने के बाद बहाने बनाने लगता है। मसलन पार्टी से उसे वह सपोर्ट नहीं मिला, वगैरह, वगैरह... लेकिन हर हार के पीछे एक कारण जरूर होता है कि या तो पार्टी लोगों का भरोसा जीत नहीं पाई या फिर पार्टी का प्रत्याशी लोगों का भरोसा जीतने में नाकाम रहा। एक हारे हुए प्रत्याशी की कहानी बताते हुए वह कहने लगे कि एक प्रत्याशी हार के बाद मुझसे शिकायत करने लगा कि मेरे पोस्टर्स समय पर नहीं छपे, जो रैली मैंने रखी थी वह कैंसिल हो गई। फंड मुझे समय पर नहीं मिला। गडकरी ने आगे बताया कि उस प्रत्याशी से मैंने कहा कि तुम इसलिए हारे क्योंकि तुम्हारी पार्टी और तुम लोगों का विश्वास जीतने में विफल रही।

बीजेपी नेता ने कहा, ‘श्रेय मोदी और बीजेपी को जाता है कि ये पार्टियां अब दोस्त बन गयी हैं।’ गडकरी ने अपने तर्क को मजबूती प्रदान करते हुए कहा कि सपा नेता मुलायम सिंह यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती चिर प्रतिद्वंद्वी हैं।

वरिष्ठ मंत्री ने कहा, ‘जब मैं कॉलेज में था, इंदिरा गांधी के खिलाफ बड़ा गठबंधन था। सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस (ओ) और जन संघ साथ में थे। गणित के हिसाब से तो गठबंधन के जीतने के आसार थे। लेकिन इंदिरा गांधी 1971 का चुनाव जीतीं।

राजनीति में दो और दो कभी चार नहीं होते।’ उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी के बीच अंतर बहुत कम था। उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनावों के परिणामों पर मत जाइए। हम लोकसभा चुनाव दोबारा जीतेंगे। हम अच्छा बहुमत हासिल करेंगे और मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे।’

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