SC का फैसला: संसद कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती
By: Priyanka Maheshwari Tue, 25 Sept 2018 1:39:20
दागी नेताओं और गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोप झेल रहे किसी नेता को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने आदेश दिया है कि उम्मीदवारों को खुद पर लगे क्रिमिनल चार्जेस की स्पष्ट जानकारी देनी होगी और पार्टियों को अपनी वेबसाइट पर भी इसका जिक्र करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को चाहिए कि इस मामले में प्रावधान के बारे में सोचे। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि वह विधायिका के दायरे में जाकर दागी नेताओं को चुनाव से प्रतिबंधित कर लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि राजनीति में अपराधीकरण और भ्रष्टाचार, लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। साथ ही कहा कि अयोग्यता का प्रावधान सुप्रीम कोर्ट नहीं जोड़ सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से तो नहीं रोका लेकिन काफी सख्ती जरूर दिखाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन कैंडिडेट के खिलाफ क्रिमिनल केस पेंडिंग हो, वह नामांकन के वक्त हलफनामा जब दाखिल करें तो क्रिमिनल केस के बारे में बोल्ड अक्षरों में लिखें। वोटर को इस बात का पूरा अधिकार है कि वह जाने कि कैंडिडेट का क्रिमिनल रिकॉर्ड क्या है।
अदालत ने कहा कि अगर कोई कैंडिडेट चुनाव के लिए खड़ा होता है तो पॉलिटिकल पार्टी उसके क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में मीडिया के जरिये विस्तार से लोगों को बताए। पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लगे आरोपों की जानकारी होनी चाहिए और पार्टी की वेबसाइट पर इसका जिक्र होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार के खिलाफ पहले लगे आरोपों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इस मामले में सुनवाई को दौरान भी पीठ ने संकेत दिये थे कि मतदाताओं को उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि जानने का अधिकार है और चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने के लिए कहा जा सकता है कि आरोपों का सामना कर रहे लोग उनके चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ें। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस याचिका का विरोध किया था, जिसमें आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जन प्रतिनिधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है। नियम के मुताबिक, सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर केवल तभी रोक लगाई जाती है, जब वह आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाते हैं। कोर्ट मंगलवार को सांसदों-विधायकों की वकालत पर भी फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नेता वकालत करना जारी रख सकते हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने नौ जुलाई को बीजेपी नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की उस जनहित याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था जिसमें सांसद, विधायक के विधायिका में कार्यकाल के दौरान अदालतों में वकालत करने पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है। पीठ ने केन्द्र की इस दलील पर संज्ञान लिया था कि सांसद या विधायक निर्वाचित जनप्रतिनिधि होता है, सरकार का पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं होता और इसलिए याचिका विचार योग्य नहीं है।
कितने नेताओं पर आपराधिक मामले
- 1518 नेताओं पर केस दर्ज, इसमें 50 से ज्यादा सांसद।
- 35 नेताओं पर बलात्कार, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर आरोप।
- महाराष्ट्र के 65, बिहार के 62, पश्चिम बंगाल के 52 नेताओं पर केस।