राम मंदिर के नाम पर सत्ता चाहती है भाजपा, उसका निर्माण नहीं : शंकराचार्य

By: Priyanka Maheshwari Mon, 23 July 2018 09:03:24

राम मंदिर के नाम पर सत्ता चाहती है भाजपा, उसका निर्माण नहीं : शंकराचार्य

रविवार को चातुर्मास प्रवास के लिए वृंदावन आए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान मोदी सरकार पर निशाना लगाते हुए कहा कि बीजेपी राम मंदिर बनवाना नहीं चाहती है बल्कि उसका का उद्देश्य राम मंदिर के नाम पर सत्ता हासिल करना है वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की वह सराहना कर गए। उन्‍होंने कहा कि संसद में सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को झप्पी दिए जाने वाले व्यवहार का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी सरकार की नीतियों के विरोध में हैं, न कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण की सराहना की और कहा कि लोकसभा में राहुल गांधी ने पप्पू कहने का विरोध नहीं बल्कि बीजेपी की नीतियों का विरोध किया है।

उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार राम मंदिर के मुद्दे पर गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार गोहत्या रोकने, धारा 370 और समान सिविल कोड जैसे कानून नहीं बना सकी है।

भाजपा झूठ बोलती है

- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े सवाल पर शंकराचार्य ने कहा, ‘भाजपा झूठ बोलती है कि केंद्र में उसकी सरकार है तो वह मंदिर बना सकती है। क्योंकि, संविधान के अनुसार सरकार धर्मनिरपेक्ष होती है। वह किसी एक धर्म विशेष का पक्ष लेकर मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारा नहीं बना सकती, लेकिन फिर भी बीजेपी चुनावों में इसी प्रकार के वादे कर वोट बटोरती आ रही है।’

ऐसे होगा तीन तलाक का वास्तविक एवं स्थाई निदान

- तीन तलाक की समस्या का निदान सुझाते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि मोदी सरकार इस समस्या का वास्तविक एवं स्थाई निदान करना ही चाहती है तो मुसलमानों को चार बीवियां रखने का अधिकार वापस ले ले। क्योंकि वे इसी कारण पत्नी का महत्व नहीं समझते। हिन्दुओं के समान एक पत्नी रखने की बाध्यता रहेगी तो यह समस्या स्वतः ही जड़ से समाप्त हो जाएगी।’

योगी सरकार से नाराजगी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से नाराजगी प्रकट करते हुए द्वारका-शारदापीठ के शंकराचार्य ने कहा कि संत समाज का प्रतिनिधि होने के चलते योगी आदित्यनाथ से बहुत आशाएं थीं कि वह तो संत समाज की आस्थाओं के अनुसार कार्य करेंगे ही, लेकिन अफसोस है कि वह भी इसके बिल्कुल उलट कार्य कर रहे हैं। वह स्वयं मंदिर और प्राचीन विग्रहों को तोड़ने जैसा कार्य करा रहे हैं। पंद्रह मई की शाम वाराणसी में एक निर्माणाधीन पुल गिरने की घटना के संबंध में उन्होंने कहा कि काशी में प्राचीन देव-विग्रह और मंदिर तोड़े जा रहे हैं। इससे संतों के साथ आमजन की भावनाएं भी आहत हुई हैं। इसी का परिणाम है कि काशी में पुल गिर गया।’

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