देशद्रोह कानून पर गृह मंत्रालय का सीधा बयान, कहा - नहीं किया जाएगा निरस्त
By: Pinki Wed, 03 July 2019 4:21:26
नरेन्द्र मोदी सरकार ने बुधवार को यह साफ किया कि विवादास्पद देशद्रोह कानून को निरस्त नहीं किया जाएगा। राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने कहा राष्ट्र विरोधी, अलगवावादी और आतंकी तत्वों से प्रभावकारी तरीकों से निपटने में मदद के लिए इसके प्रावधान की जरुरत है।
गृह मंत्रालय ने लिखित बयान में बुधवार को कहा कि सरकार देशद्रोह कानून पर अपना स्टैंड बरकरार रखेगी। जब पूछा गया कि क्या सरकार ब्रिटिश काल से चले आ रहे आईपीसी के सेक्शन 124A को हटाने की कोशिश कर रही है तो गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, 'देशद्रोह से जुड़े कानून को खत्म करने का कोई प्रावधान नहीं है। राष्ट्र विरोधी, आतंकियों और पृथकतावादियों से निपटने के लिए इस कानून का होना जरूरी है।'
भारतीय दंड संहिता की धारा 124A जो देशद्रोह कानून के नाम से लोकप्रिय है, इसके दुरुपयोग को लेकर राजनीतिक बहस का विषय बन गया था। संविधान में दिए अभिव्यक्ति की आजादी पर इससे खतरे के आरोप लगाए गए। कांग्रेस ने 2019 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस कानून को समाप्त करने की बात कही थी। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उसके ऊपर हमला करते हुए राष्ट्र विरोधी कदम उठाने का आरोप लगाया था। चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि देश ने नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद काफी विकास देखा है। एनडीए सरकार अगर सत्ता में लौटी तो देशद्रोह कानून को और सख्त बनाएगी।
क्या है धारा 124A
भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124A में देशद्रोह की दी हुई परिभाषा के मुताबिक, अगर कोई भी शख्स सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या फिर ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसे आजीवन कारावास या तीन साल की सजा हो सकती है।