दिल्ली : बिना पंजीकरण के बनाई जा रहीं हैं गणेश की मूर्तियां, रोक के बावजूद इस्तेमाल हो रहा पीओपी

By: Pinki Wed, 28 Aug 2019 1:20:29

दिल्ली : बिना पंजीकरण के बनाई जा रहीं हैं गणेश की मूर्तियां, रोक के बावजूद इस्तेमाल हो रहा पीओपी

दिल्ली में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) को लेकर मूर्तियां बनाने का काम शुरू हो गया है। मगर ज्यादातर मूर्तिकार बिना पंजीकरण के इस काम में जुटे हैं। दिल्ली नगर निगम एनजीटी के मूर्ति बनाने के लिए पंजीकरण कराने के आदेश को सख्ती से लागू कर पाने में नाकाम साबित हो रहा है।

क्यों जरुरी है पंजीकरण

मूर्ति को तैयार करने के लिए मूर्तिकार रसायनिक पदार्थों का प्रयोग करते हैं। इसे लेकर एनजीटी ने सख्ती बरतने को कहा है, जिससे इन्हें यमुना में प्रवाहित न किया जा सके। इस वजह से मूर्तिकारों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

पीओपी का इस्तेमाल

दिल्ली में रोक के बावजूद प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। बहुत कम मूर्तिकार मिट्टी से मूर्तियां तैयार कर रहे हैं।

पंजीकरण की जानकारी तक नहीं

दिल्ली में ज्योति नगर, गीता कॉलोनी, उत्तम नगर, अक्षरधाम, मयूर विहार, राजा गार्डन, रामपुरा सहित कई इलाकों में बड़े स्तर पर मूर्ति बनाने का काम होता है। ज्योति नगर में रहने वाले मूर्तिकार प्रेम ने बताया कि मूर्ति बनाने के लिए नगर निगम से पंजीकरण कराना जरूरी है, इसकी जानकारी नहीं है। पीओपी और मिट्टी से मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। पीओपी वाली मूर्तियां दादरी, गाजियाबाद, साहिबाबाद, फरीदाबाद सहित दूसरे इलाकों से बनकर आती हैं। यहां पर मूर्ति का सिर्फ रंग-रोगन और साज-सज्जा का काम किया जाता है। बता दें कि यहां पर 100 से अधिक मूर्तिकार बैठे हैं, जिनमें से अभी तक केवल 15 मूर्तिकारों ने पूर्वी निगम में अपना पंजीकरण कराया है।

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इसबार यमुना में नहीं होगा गणेश विसर्जन

नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस बार आदेश दिया है कि गणेश विसर्जन यमुना में नहीं होगा इसके लिए यमुना के आसपास ही तालाब बनाए जा रहे हैं, जहां गणेश जी की मूर्तियां विसर्जित की जाएंगी। दरहसल, एनजीटी ने कहा था कि यमुना को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए मूर्तियों के विसर्जन को यमुना नदी में होने से रोकना होगा। इसके बाद दिल्ली सरकार व सिविक एजेंसियों को तालाब बनाने की दिशा में प्रयास करने के लिए कहा गया था। गुजरात के सूरत शहर से यह आइडिया लिया गया था, क्योंकि सूरत में ऐसे तालाबों में ही मूर्तियों के विसर्जन का चलन है। इसके बाद एजेंसियों ने यमुना के आसपास खाली जगह का चुनाव करके उसमें बड़े गड्ढे बनाए हैं। कई इलाकों में गड्ढे बनकर तैयार हो गए हैं, जबकि कुछ इलाकों में अभी गड्ढे खोदे जा रहे हैं। बुराड़ी इलाके में 6 बड़े तालाब बनाए गए हैं, जिसमें यमुना से टैंकर के जरिए पानी लाकर डाला जाएगा। बताया जा रहा है कि मूर्तिकारों को भी निर्देश दिया गया है कि वह मूर्तियों के लकड़ी के ढांचे में अपना मोबाइल नंबर और नाम लिखें। विसर्जन के बाद मूर्तियों पर चढ़ी मिट्टी उतर जाएगी और सिविक एजेंसियां मूर्तिकारों को फोन करके उनका ढांचा लौटा देंगी, जिससे वह अगले साल भी उसी ढांचे पर मूर्तियां बना सकेंगे।

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