हादसा टलाः यात्रियों के बोझ से बैठ गई संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, ट्रेन से खींचकर बाहर निकाले गए लोग
By: Priyanka Maheshwari Fri, 04 May 2018 3:50:21
नई दिल्ली से राजेंद्रनगर नगर टर्मिनल (पटना) के बीच चलने वाली संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस में मंगलवार को इतने यात्री सवार हो गए कि उसका एक डिब्बा बैठ गया। हालात को देखते हुए रेलवे के मैकेनिकल विभाग ने गाड़ी चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद आरपीएफ के जवान एक तरफ ट्रेन की जनरल बोगी से खींच-खींच कर लोगों को बाहर निकाल रहे थे, वहीं दूसरी तरह रेलवे स्टॉफ बार-बार बोगियों का प्रेशर चेक कर रहे थे। मुसाफिरों के भार और प्रेशर के तौल की यह कवायद करीब पौने दो घंटे तक चली। प्रेशर सामान्य होने पर रेलवे स्टाफ ने आरपीएफ के जवानों को इशारा किया कि अब लोगों को बाहर निकालना बंद करो, जिसके बाद इस ट्रेन को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पटना के लिए रवाना कर दिया गया।
स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 16 पर मंगलवार को संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस सामान्य दिनों की तरह चलने को तैयार थी। गाड़ी के सभी डिब्बे यात्रियों से खचाखच भरे हुए थे। ट्रेन को निर्धारित समयानुसार शाम 5.25 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल के लिए रवाना होना था। बिहार जाने वाली लगभग सभी ट्रेनों के देरी से चलने की वजह से सैकड़ों की संख्या में यात्री इस ट्रेन की जनरल बोगियों में सवार हो गए। तभी रेल कर्मियों की नजर सामान्य श्रेणी के डिब्बे पर पड़ी, जो यात्रियों के बोझ से बैठ गया है। इसकी सूचना मिलते ही रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर डिब्बे को खाली कराया। इसके बाद गाड़ी की जांच की गई और डिब्बे को ठीक करने के बाद ट्रेन करीब 7.15 बजे रवाना की गई।
यात्रियों की ना-नुकर के बाद बुलाना पड़े RPF के जवान
सूत्रों के अनुसार ट्रेन की बोगियों का वेट प्रेशर बढ़ने के चलते रेलवे ने पहले पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम के जरिए यात्रियों से बोगियों को खाली करने के लिए कहा गया। मौके पर मौजूद रेलवे स्टॉफ भी लगातार मुसाफिरों को समझाकर ट्रेन से उतारने की कोशिश करता रहे। इस दौरान सभी यात्री यह तो चाहते थे कि ट्रेन से कुछ लोगों को उतरना चाहिए, लेकिन वह खुद ट्रेन से उतरना नहीं चाहते थे। मजबूरन रेलवे को सुरक्षा बल आरपीएफ का सहारा लेना पड़ा। मौके पर पहुंची आरपीएफ की टीम ने करीब 100 से 115 लोगों को ट्रेन से बाहर निकाला। इस पूरी कवायद में करीब पौने दो घंटे का समय लग गया। मंगलवार को यह ट्रेन अपने निर्धारित समय से करीब 1.50 घंटे की देरी से रवाना हो सकी।
रेलवे के मैकेनिकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यदि गाड़ी को चलने की अनुमति दी जाती तो उसके पटरी से उतरने का खतरा था। इसके मद्देनजर ट्रेन को रोका गया और मरम्मत के बाद ही रवाना किया गया।