राम मंदिर निर्माण : अयोध्या में हिंदू संगठनों का जमावड़ा, 25 नवंबर को होने वाली 'धर्मसभा', जाने क्या है इसके मायने
By: Priyanka Maheshwari Wed, 21 Nov 2018 12:31:47
जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir in Ayodhya) के लिए तमाम हिंदू संगठनों का स्वर तेज हो गया है। इस कड़ी में शिवसेना ( Shivsena ) प्रवक्ता संजय राउत ( Sanjay Raut ) आज अयोध्या में आज लक्ष्मण क़िला मैदान पर भूमि पूजन करेंगे। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी 24 नवंबर को अयोध्या पहुंच रहे हैं। अयोध्या में शिवसेना ने बड़ी रैली कराने की घोषणा की है। दावा है कि इस धर्मसभा में 2 लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हो सकते हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के 26 वर्षों बाद यह पहला मौका है जब अयोध्या में इतनी बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा होंगे। इस जमावड़े के पीछे संगठन भी करीबन वही हैं जो 1992 में थे। ठाकरे एक दिन पहले यहां पहुंचेंगे और करीब 100 हिंदू धर्माचार्यों को सम्मानित करेंगे। संजय राउत जिस जमीन का पूजन करने वाले हैं वहां उद्धव ठाकरे का प्रोग्राम होने वाला है। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद शिवसेना की छवि कट्टर हिंदूवादी दल की बनी और पार्टी को इसका फायदा भी मिला, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर कम होने लगा। महाराष्ट्र में इसका असर दिखा और राज्य की सियासत में पार्टी की पकड़ कमजोर हुई। इसके बरक्स अन्य दलों ने जगह बनाई। खुद, एक ही विचारधारात्मक धरातल पर खड़े बीजेपी को इसका फायदा हुआ।
पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान ने सरकार पर दवाब और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का बनना गौरव की दृष्टि से आवश्यक है। मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मकता का वातावरण बनेगा, ऐसे में इसमें और देरी नहीं की जानी चाहिए। मोदी सरकार की सहयोगी पार्टियां भी मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव बना रही हैं।
इन सबके बीच 25 नवंबर को अयोध्या में 'धर्मसभा' होने जा रही है। संतों की अपील पर बुलाई गई इस धर्मसभा में तमाम हिंदूवादी संगठन भी शामिल हो रहे हैं। जिसमें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल प्रमुख हैं।
धर्मसभा आयोजन के क्या हैं मायने?
यूं तो इसे धर्मसभा कहा जा रहा है, लेकिन इस सभा के आयोजन की मंशा पर सवाल भी उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस सभा के जरिये हिंदूवादी संगठन राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir in Ayodhya) के लिए सरकार पर दबाव तो बनाना ही चाहते हैं। साथ ही 92 जैसी किसी घटना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। खुद भाजपा नेता इसका संकेत देते रहे हैं। हाल ही में बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि अब राम मंदिर निर्माण में और देरी नहीं होनी चाहिए और भगवान संविधान से उपर हैं। कहा यह भी जा रहा है कि 25 नवंबर को होने वाली धर्मसभा के आयोजन में परोक्ष रूप से आरएसएस की भी सहमति है। संघ के सह कार्यवाह भैयाजी जोशी ने सोमवार को ही कहा कि वे आखिरी बार तिरपाल के अंदर भगवान राम का दर्शन करने जा रहे हैं। शायद अगली बार जब वे अयोध्या आएं तो उन्हें भगवान राम का भव्य मंदिर मिले।
अयोध्या के पक्षकारों में है मतभेद
धर्मसभा को लेकर विरोध के स्वर भी दिखाई दे रहे हैं। खुद अयोध्या मामले में पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने इस पर आपत्ति जताई है। निर्मोही अखाड़ा चाहता है कि मंदिर जबरदस्ती नहीं बल्कि समझौते से बने। निर्मोही अखाड़े के महंत और राम मंदिर के पक्षकार दिनेंद्र दास ने कहा कि मालिकाना हक निर्मोही अखाड़े का है। विश्व हिंदू परिषद वालों को हमेशा निर्मोही अखाड़े का सहयोग करना चाहिए, लेकिन वे सहयोग नहीं करेंगे। यह तो हमेशा लूटने का प्रयास करेंगे और दंगा करने का प्रयास करेंगे। एक और पैरोकार धर्मदास भी कहते हैं कि धर्म के नाम पर जो धंधा करेगा, उसका नुकसान ही होता है। दूसरी तरफ, अयोध्या मामले में याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी ने तमाम उठा-पटक के बीच जो बयान दिया है, उसपर भी एक वर्ग में विरोध शुरू हो गया है। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश के मुद्दे पर कहा कि "हमें कोई आपत्ति नहीं है, यदि राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाया जाता है... यदि अध्यादेश लाया जाना देश के लिए अच्छा है, तो लाएं... हम कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, हम कर कानून का पालन करेंगे..."
बता दें कि राम मंदिर पर अभी तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कहने वाले बीजेपी नेताओं के सुर बदलने लगे हैं। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि हिंदू एक हो जाएं तो मंदिर का निर्माण कोई नहीं रोक सकता। वहीं उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने अपने बयान से यूटर्न लेते हुए कहा है कि जब तक मंदिर नहीं बनता तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। मौर्य ने पहले कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने इससे पहले कहा था कि पीएम और सीएम सभी बीजेपी के हैं तो फिर मंदिर निर्माण में देरी क्यों हो रही है। जनता ने राम के नाम पर ही बीजेपी को वोट किया था ये बात भूलनी नहीं चाहिए। साढ़े चार साल निकल चुके हैं और अब अध्यादेश लाने में देरी क्यों हो रही है।
राउत ने आगे कहा था कि प्रभु राम जेल जैसी जगह में बैठे हैं, उन्हें वहां से मुक्त कराना है।अगर हम राम मंदिर नहीं बना सकते तो राम जी हमें माफ नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि 2019 से पहले ही राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो जाए। उन्होंने कहा था कि मंदिर निर्माण कोई धार्मिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय कार्य है और जल्द से जल्द इसे पूरा होना चाहिए।