अमृतसर ट्रेन हादसा : ड्राइवर ने बताई पूरी बात, आखिर क्यों नहीं रोकी थी ट्रेन!

By: Pinki Sun, 21 Oct 2018 11:08:27

अमृतसर ट्रेन हादसा : ड्राइवर ने बताई पूरी बात, आखिर क्यों नहीं रोकी थी ट्रेन!

अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास हुए भीषण हादसे में 62 लोगों की मौत होने के बाद रेलवे और प्रशासन एक दूसरे के ऊपर आरोप थोप रहा है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा कि ड्राइवर ने स्पीड कम की थी। अगर इमरजेंसी ब्रेक लगाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। हादसे की जगह अंधेरा था और ट्रैक थोड़ा घुमावदार था।जिसकी वजह से ड्राइवर को ट्रैक पर बैठे लोग नज़र नहीं आए। उन्होंने कहा कि गेटमैन की ज़िम्मेदारी सिर्फ गेट की होती है। हादसा इंटरमीडिएट सेक्शन पर हुआ, जो कि एक गेट से 400 मीटर दूर है, वहीं दूसरे गेट से 1 किलोमीटर दूर है।

उन्होंने साफ कहा कि हमारी कोई गलती नहीं है। उन्होंने यह भी साफ किया है कि इस मामले में रेलवे की तरफ से जांच के आदेश नहीं दिए जाएंगे। वही इन सबके बीच ट्रेन के ड्राइवर अरविंद कुमार ने अपना बयान दिया है। अरविंद ने हादसे वाले दिन ट्रेन का चार्ज लेने से लेकर हादसे के बाद का पूरा घटनाक्रम बताया। उन्होंने यह भी बताया कि हादसे के बाद उनकी ट्रेन रूकने की स्थिति में आ गई थी, लेकिन अचानक लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। ऐसे में ट्रेन में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ड्राइवर ने वहां ट्रेन नहीं रोकी।

अरविंद ने बताया, 'मैंने 19 अक्टूबर को शाम 5 बजे ट्रेन नंबर डीपीसी 11091 का चार्ज लिया और जालंधर के प्लैटफॉर्म 1 से 5:10 पर लेकर चला। शाम 6:44 बजे मानांवाला पहुंचकर 6:46 बजे येलो सिग्नल और ग्रीन सिग्नल मिलने पर अमृतसर के लिए चला। मानांवाला और अमृतसर के बीच गेट सं. 28 का डिस्टेंट और गेट सिग्नल ग्रीन पास किया। इसके बाद गेट सं. 27 के अंतराल और दोनों गेट सिग्नल को डबल येलो में लगातार हॉर्न बजाते हुए पास किया।'

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घटनास्थल के करीब पहुंचने पर अरविंद बताते हैं, 'जैसे ही गाड़ी केएम-नं. 508/11 के आसपास पहुंची तो सामने से गाड़ी सं. 13006 डीएन आ रही थी। अचानक लोगों का हुजूम ट्रैक के पास दिखाई दिया तो मैंने तुरंत हॉर्न बजाते हुए इमर्जेंसी ब्रेक लगा दिया। इमर्जेंसी ब्रेक लगाने पर भी मेरी गाड़ी की चपेट में कई लोग आ गए। गाड़ी की स्पीड लगभग रुकने के करीब थी तो बड़ी संख्या में लोगों ने मेरी गाड़ी पर पथराव शुरू कर दिया। मैंने मेरी गाड़ी में बैठी सवारियों की सुरक्षा को देखते हुए ट्रेन को आगे बढ़ाया और होम सिग्नल की स्थिति में अमृतसर स्टेशन पर आ गया। इसकी सूचना मैंने सभी संबंधित अधिकारियों को भी दे दी।' बता दें कि इससे पहले अमृतसर के पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तव ने कहा कि 20 जगहों पर कार्यक्रम की इजाजत दी गई थी। पुलिस ने यह इजाजत शर्त के साथ दी थी, इसमें धोबी घाट इलाके की परमीशन भी थी। श्रीवास्तव ने कहा, 'हमने एक निश्चित इलाके के लिए अनुमति दी थी, अब जाहिर तौर पर यह परमीशन ट्रैक पर जाने के लिए तो नहीं थी। खामियों की जांच की जा रही है।'

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वहीं रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भी रेलवे की गलती होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि हादसे से कुछ दूर पहले ट्रैक पर कर्व है, इस वजह से संभव है कि उसे भीड़ दिखी ही नहीं हो। उन्होंने सवाल किया कि ड्राइवर गाड़ी चलाएगा या इधर-उधर देखेगा? वहीं फिरोजपुर डीआरएम ने भी कहा है कि इस हादसे में ट्रेन के ड्राइवर की कोई गलती नहीं थी। उन्होंने कहा, "ट्रेन 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही थी।ड्राइवर ने ब्रेक लगाई। हादसे के वक़्त स्पीड 68 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई। ट्रेन को रोकने के लिए 600 - 700 मीटर पहले ब्रेक लगाना पड़ता है। ड्राइवर ने हॉर्न भी बजाया था, शोर की वजह से लोगों ने सुना नहीं।" इतना ही नहीं रेलवे ने हादसे के दौरान ट्रैक पर खड़े लोगों को घुसपैठिया (ट्रैसपासर) तक करार दे दिया है।

रेलवे का मानना है कि संबंधित लोग घटना स्थल से 340 मीटर दूर बने लेवल क्रॉसिंग (फाटक) नंबर सी-27 से रेल पटरियों पर अनाधिकृत रूप से घुसे थे और पटरियों पर खडे़ होकर रावण दहन देख रहे थे। वहां से गुजरती ट्रेन लगातार हार्न बजा रही थी, लेकिन रावण के पुतलों में लगे पटाखों की गूंज में लोगों ने ट्रेन के हार्न को नहीं सुना। इस वजह से यह हादसा हुआ।

रेलवे ने तर्क देते हुए यह भी कहा कि हावड़ा एक्सप्रेस से पहले एक डीएमयू ट्रेन भी वहां से गुजरी थी, इसलिए डीएमयू ट्रेन के लिए लिए बाकायदा फाटक नंबर सी-27 को बंद कर ट्रैफिक रोक दिया गया था। लिहाजा इस फाटक से किसी की भी एंट्री रेलवे की ओर से अवैध थी। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को सांत्वना भी दी है।

रेलवे का दावा है कि रावण फूंके जाना वाला मैदान और ट्रैक के बीच 2.5 मीटर ऊंची दीवार थी। फाटक बंद था और डीएमयू ट्रेन गुजरने की पूरी सूचना था। सिग्नल ग्रीन था, उसके बावजूद लोगों ने लापरवाही की। रेल प्रशासन का कहना है कि जहां रावण दहन हुआ, वह जमीन भी रेलवे की नहीं थी। लिहाजा आयोजकों को रेलवे से अनुमति लेने की जरूरत नहीं बनती, न ही रेलवे अनुमति देता। रेलवे को ट्रैक के पास संबंधित जगह दशहरे आयोजन की सूचना भी नहीं थी।

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