निर्भया गैंगरेप मामला: 3 दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आज, पूरे मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें

By: Pinki Mon, 09 July 2018 08:36:41

निर्भया गैंगरेप मामला: 3 दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आज, पूरे मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें

निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट चार में से तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सोमवार यानि आज 9 जुलाई को फैसला सुनाएगा। बता दें कि निर्भया कांड के चार दोषियों में शामिल अक्षय कुमार सिंह (31) ने सुप्रीम कोर्ट के पांच मई 2017 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने दोषियों विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। मामले की सुनवाई के दौरान दोषियों की तरफ से कहा गया कि ये मामला फांसी की सजा का नहीं है। वो गरीब पृष्ठभूमि से आए हुए हैं, वो आदतन अपराधी नहीं हैं... इसलिए सुधरने का मौका दिया जाए।

बता दे, 16 दिसंबर, 2012 की रात फिल्म देखकर लौटते समय 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ दी थीं। दोषियों ने निर्भया और उसके मित्र को नग्न हालत में चलती बस से नीचे फेंक दिया था। यहां तक कि दोनों को कुचलकर मारने की कोशिश भी की गई थी। इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत और हाई कोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी।

निर्भया गैंगरेप मामले से जुड़ी बड़ी बातें

- दिल्ली पुलिस ने इन दलीलों का विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि इन दलीलों को पहले ही कोर्ट ठुकरा चुका है। विनय और पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी पृष्ठभूमि और सामाजिक आर्थिक हालात को देखकर सजा कम की जाए। 115 देशों ने मौत की सजा को खत्म कर दिया है। सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं। सजाए मौत सिर्फ अपराधी को खत्म करती है अपराध को नहीं। मौत की सजा जीने के अधिकार को छीन लेती है। ये दुर्लभतम से दुर्लभ अपराध की श्रेणी में नहीं आता। एक ही मुख्य गवाह और पारिस्थिजन्य सबूतों के आधार पर मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
- वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्भया मामले की सुनवाई के दौरान हमने हिमालय की तरह धैर्यता रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, 'पीड़ित के शरीर पर मुकेश के दांतों के निशान को अनदेखा कैसे कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकेश को दोषी डीएनए की जांच, पीड़ित के आखिरी समय के बयान और रिकवरी के आधार पर ठहराया गया है।

- सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर आपके अनुसार CRPC 313 के तहत दर्ज बयान को नहीं माना जाए क्योंकि आपके मुताबिक आपने टॉर्चर के बाद बयान दिया और आप दबाव में थे तो ऐसे में फिर देश में कोई भी ट्रायल नहीं चल पाएगा।
- मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दोषी मुकेश के पुनर्विचार याचिका का विरोध किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये मामला पुनर्विचार का बनता ही नहीं है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जो टॉर्चर थ्‍योरी ये कह रहे हैं वो गलत है क्योंकि अगर ऐसा होता तो तिहाड़ जेल प्रसाशन या निचली अदालत को बता सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में कहीं भी मौलिक अधिकारों का उल्‍लंघन नहीं हुआ है।

- वहीं दोषी मुकेश की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें टॉर्चर किया गया। मैंने टॉर्चर को लेकर निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया।
- अक्षय कुमार सिंह के वकील ए पी सिंह ने कहा, ‘अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है। हम इसे दाखिल करेंगे।’
- शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। उससे दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और गंभीर चोट पहुंचाने के बाद सड़क पर फेंक दिया था।
- सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था। उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया। उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया।
- दोषी मुकेश की तरफ से ये भी कहा गया कि जांच सही से नहीं की गई, मैं मोके पर नहीं था। सजायाफ्ता मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। याचिका में फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई है।

- याचिका में फांसी पर अंतरिम रोक की मांग भी की गई है। खुली अदालत में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होगी। दरअसल पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने आदेश दिया था कि फांसी की सजा के मामलों में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी और पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होगी।

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