PM मोदी ने लाल किले में किया सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम का उद्घाटन
By: Priyanka Maheshwari Wed, 23 Jan 2019 11:58:23
आज (23 जनवरी 2019) नेताजी की 122 वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले में सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम का उद्घाटन किया। पीएम मोदी उसी जगह पर याद-ए-जलियां म्यूजियम (जलियांवाला बाग और प्रथम विश्वयुद्ध पर म्यूजियम) और 1857 (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) पर म्यूजियम और भारतीय कला पर दृश्यकला म्यूजियम भी गए। बोस और आजाद हिंद फौज पर म्यूजियम में सुभाष चंद्र बोस और आईएनए से संबंधित विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। इसमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी और तलवार के अलावा आईएनए से संबंधित पदक, बैज, वर्दी और अन्य वस्तुएं शामिल हैं।
Prime Minister Narendra Modi inaugurates Netaji Subhash Chandra Bose museum at Red Fort in Delhi. pic.twitter.com/vjGteJFWRe
— ANI (@ANI) January 23, 2019
अपने उग्र विचारों के चलते खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले फ्रीडम फाइटर सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्म 23 जनवरी 1897 को उ़डीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। सुभाष चंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे। नेता जी बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज थे और देश की आजादी में अपना योगदान देना चाहते थे। 1921 में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर देश की आजादी की लड़ाई में उतरे सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) को उनके क्रांतिकारी विचारों के चलते देश के युवा वर्ग का व्यापक समर्थन मिला। उन्होंने आजाद हिंद फौज में भर्ती होने वाले नौजवानों को ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'' का ओजपूर्ण नारा दिया। सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) ने आजाद हिंद फौज के कमांडर की हैसियत से भारत की अस्थायी सरकार बनायी, जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी थी।
'नेताजी' मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर उग्र विचारधारा वाले देश के युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे। वह युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदा सर्वदा असंदिग्ध और अनुकरणीय रही। साल 1942 में नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) ने हिटलर से मुलाकात की थी। लेकिन हिटलर के मन में भारत को आजाद करवाने के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं थी। हिटलर ने सुभाष को सहायता का कोई स्पष्ट वचन नहीं दिया था। सुभाषचंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) को नेताजी कहने वाला पहला शख्स एडोल्फ हिटलर ही था।
Prime Minister Narendra Modi visits the Yaad-e-Jallian, a museum on Jallianwala Bagh, at Red Fort in Delhi. pic.twitter.com/aAkNpzRFjC
— ANI (@ANI) January 23, 2019