नौसेना दिवस : पाकिस्तानी नौसेना का मुख्यालय था कराची पोर्ट, यूं भारतीय नौसेना ने किया था तबाह, ऑपरेशन ट्राइडेंट की पूरी कहानी
By: Priyanka Maheshwari Tue, 04 Dec 2018 12:39:08
आज 4 दिसंबर को नौसेना दिवस (Indian Navy Day 2018) मनाया जा रहा है। इस दिन नौसेना के जाबाजों को याद किया जाता है। 3 दिसंबर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाक सेना के ख़िलाफ़ जंग की शुरुआत कर चुकी थी। वहीं, 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था। इस यु्द्ध में पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया गया था। नौसेना ने पाकिस्तान के तीन जहाज नष्ट कर दिए थे। इसमें भारतीय नौसेना का आई.एन.एस. खुकरी भी पानी में डूब गया था। इसमें 18 अधिकारियों सहित लगभग 176 नौसैनिक सवार थे। भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन का नाम 'ट्राइडेंट' रखा था।
कराची पोर्ट की अहमियत को देखकर इसे निशाने पर लिया गया था। कराची पोर्ट एक तरफ पाकिस्तानी नौसेना का मुख्यालय था और दूसरी ओर पाकिस्तान का तेल भंडार भी वहां था। दुनिया के इस सबसे साहसिक मिशन का नेतृत्व एडमिरल सरदारीलाल मथरादास नंदा कर रहे थे। मिशन की योजना नौसेना के बेड़ा संचालन अधिकारी गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी ने बनाई थी। भारतीय नौसेना ने कई बाधाओं का सामना करते हुए इस मिशन को अंजाम दिया था। एक तो भारतीय नौसेना के रेडार की रेंज बहुत सीमित थी, दूसरी ओर उसकी ईंधन क्षमता भी बहुत कम थी। लेकिन भारतीय नौसेना साहस और उत्कृष्टता का प्रदर्शन करते हुए मिसाइल फिट पोतों को कराची पोर्ट के बिल्कुल करीब ले गई ताकि पूरी क्षमता से हमला कर सके।
भारत के लिए सबसे बड़ी कामयाबी और पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी तबाही पाकिस्तानी नौसेना की पनडुब्बी पीएनएस गाजी का तबाह होना था। पीएनएस गाजी को पाकिस्तान ने अमेरिका से लीज पर लिया था। उस समय गाजी का जवाब दक्षिण एशिया में किसी देश के पास नहीं था। उसके अलावा वह इकलौती पनडुब्बी थी जिसके अंदर बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने के लिए 11000 समुद्री मील दूरी तय करनी की क्षमता थी। वह कहावत है न कि शिकारी खुद शिकार हो गया, कुछ ऐसा ही गाजी के साथ हुआ। पाकिस्तान की ओर से गाजी को भेजा गया था कि भारतीय नौसेना के विमानवाहक जहाज आईएनएस विकांत को खोजकर तबाह करे। लेकिन इस चक्कर में गाजी खुद तबाह हो गई।
सात दिन तक जलता रहा कराची तेल डिपो
कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज के तबाह हो जाने से पाकिस्तान नौसेना की कमर टूट गई थी। कराची के तेल टैंकरों में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। बता दें कि कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों तक नहीं बुझाया जा सका था।
नौसेना दिवस (Navy Day) 4 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?
यह हमला एक घंटे से अधिक समय तक चला था। भारत ने कुल छह मिसाइलों को दागा था। भारतीय नौसेना ने न केवल 4 पाकिस्तानी जहाजों को डुबोया था, बल्कि अपने सभी नौसैिकों को सुरक्षित लेकर घर लौटे थे। भारतीय पक्ष पर कोई हताहत न होने के कारण, यह अभियान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के आधुनिक नौसैनिक इतिहास में सबसे सफल माना जाता था। वीरता के शानदार प्रदर्शन को चिह्नित करने के लिए हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।
भारतीय नौसेना का इतिहास
भारतीय जल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रही भारतीय नौसेना की शुरुआत वैसे तो 5 सितंबर 1612 को हुई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के युद्धपोतों का पहला बेड़ा सूरत बंदरगाह पर पहुंचा था और 1934 में 'रॉयल इंडियन नेवी' की स्थापना हुई थी, लेकिन हर साल चार दिसंबर को 'भारतीय नौसेना दिवस' मनाए जाने की वजह इसके गौरवमयी इतिहास से जुड़ी हुई है।