मोदी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, अब चिटफंड में नहीं फंसेगा आपकी मेहनत का पैसा
By: Priyanka Maheshwari Thu, 07 Feb 2019 08:01:33
शारदा चिट फंड घोटाले पर छिड़े पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और केंद्र सरकार के बीच सियासी संग्राम के बीच चिट फंड (पोंजी) स्कीम पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) ने बड़ा फैसला लिया। इस फैसले के लागू होने के बाद अब चिटफंड स्कीम में अगर आप पैसा लगाते हैं, तो वो डूबेगा नहीं। कैबिनेट ने अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स (Unregulated Deposits Scheme) पर प्रतिबंध बिल, 2018 में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सभी गैर पंजीकृत डिपॉजिट स्कीम अवैध मानी जाएगी। इसका संचालन करने वालों की संपत्ति जब्त करने के कड़े प्रावधान किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि साल 2015 से 2018 तक सीबीआई ने चिंट फंड के मामले में कुल 166 केस दर्ज किए हैं। इसमें सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सामने आए हैं। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'पश्चिम बंगाल का जो मामला इन दिनों चर्चा में है वह मामला बीजेपी के सरकार में आने से पहले का है। इस तरह की डिपॉजिट स्कीम का सबसे ज्यादा प्रभाव चार राज्यों के छोटे पूंजी निवेशकों पर पड़ा, जिसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम प्रमुख हैं। यहां चिटफंड स्कीम शुरू करने वाली कंपनियों का ऑनलाइन डेटा बेस बनाया जाएगा, ताकि चीजें रिकॉर्ड में आए।'
Union Minister RS Prasad during Cabinet briefing in Delhi: Investors from Bihar, Jharkhand, Odisha and Assam suffered in Chit Fund & multicrore scams. https://t.co/nxHmPKM1sm
— ANI (@ANI) February 6, 2019
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 'इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जो भी डिपॉजिट स्कीम रेगुलेटेड नहीं है, वो अवैध है।' उन्होंने कहा कि 'अब कोई भी चिट फंड स्कीम नहीं चला चलेगी। ऐसा करने वाले की संपत्ति बेच कर लोगों का पैसा वापस दिया जाएगा।'
'मनी कंट्रोल' खबर के मुताबिक, रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'इस बिल के तहत अगर कोई व्यक्ति ऐसी स्कीम का विज्ञापन जारी करता है, लोगों को आकर्षित करने के लिए किसी बड़ी हस्ती को ब्रांड एम्बेसेडर बनाता है तब भी कार्रवाई होगी।'
वर्तमान में 9 रेगुलेटर विभिन्न डिपॉजिट स्कीम की निगरानी और करते हैं। जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें शामिल हैं। सभी डिपॉजिट टेकिंग स्कीम्स को संबंधित रेगुलेटर के पास रजिस्टर किया जाता है। अगर कोई डिपॉजिट टेकिंग स्कीम बिल में लिस्टेड रेगुलेटरों के पास रजिस्टर नहीं की गई है तो उसे अनरेगुलेटेड माना जाता है।