प्रधानमंत्री के भाषण को चुनावी बताते हुए मायावती ने कहा - 'ना तो नई ऊर्जा मिली और ना ही कोई नई उम्मीद...'

By: Priyanka Maheshwari Wed, 15 Aug 2018 5:21:27

प्रधानमंत्री के भाषण को चुनावी बताते हुए मायावती ने कहा - 'ना तो नई ऊर्जा मिली और ना ही कोई नई उम्मीद...'

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए गए संबोधन को पूर्ण रूप से राजनीतिक शैली का चुनावी भाषण बताते हुए बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आज कहा कि इस लंबे-चौड़े भाषण से सवा सौ करोड़ आबादी वाले देश को ना तो नई ऊर्जा मिली और ना ही कोई नई उम्मीद।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की आम जनता को उसके जान-माल व मजहब की सुरक्षा की अति-महत्त्वपूर्ण संवैधानिक गारंटी का आश्वासन देना भी भूल गए जबकि यह आज देश की आवश्यकता नंबर वन बन गई है।

मायावती ने आज जारी एक बयान में कहा कि 'प्रधानमंत्री देश की आम जनता को उसके जान-माल और मजहब की सुरक्षा की अति-महत्वपूर्ण संवैधानिक गारंटी का आश्वासन देना भी भूल गए, जबकि यह आज देश की आवश्यकता नम्बर वन बन गई है। उन्हें ऐसा राजनीतिक भाषण संसद में देना चाहिए था, ताकि वहां सरकार की जवाब देही तय हो सके और उनकी सरकार के अनेकों प्रकार के दावों की सत्यता को कसौटी पर परखा जा सके। लाल किले से भाषण देश को नई उम्मीद जगाने तथा नया विश्वास दिलाने के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लाल किले के भाषण को राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता तो बेहतर होता, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा अपनी संकीर्ण व विद्वेष की राजनीति से ऊपर उठकर काम करने वाली नहीं है।'

उन्होंने कहा कि 'वैसे गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी आदि की भयंकर समस्या के साथ-साथ वर्तमान की असली चिंता एवं समस्या खासकर विश्व की बहुत ही तेजी से बदलती हुई राजनीतिक परिस्थिति व व्यापार के जारी संकट के हालात हैं, जिससे पेट्रोल व डीजल के साथ-साथ भारतीय मुद्रा व विदेशों में बसे भारतीय बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।'

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लेकिन प्रधानमंत्री ने आज इस पर एक शब्द भी नहीं बोला जबकि पूरी दुनिया में इसकी गूंज है। यूरोप के संपन्न देशों सहित विश्व का लगभग हर स्वाभिमानी देश इस बारे में परेशान हैं। इस मसले पर प्रधानमंत्री देश को विश्वास में लेना भूल गए।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले से 82 मिनट का भाषण दिया। यह 15 अगस्त को दिया गया उनका दूसरा सबसे छोटा संबोधन रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल यानी वर्ष 2017 में स्वतंत्रता दिवस पर अपना सबसे छोटा भाषण दिया था। तब उनका भाषण 54 मिनट का था।

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भाषण को कांग्रेस ने बताया ‘खोखला’

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को कांग्रेस ने ‘खोखला’ बताया और कहा कि बेहतर होता, अगर मोदी अपने इस ‘आखिरी भाषण’ में राफेल, अर्थव्यवस्था की स्थिति और नफरत के महौल पर सच बोलते। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को राफेल एवं कुछ अन्य मुद्दों पर बहस करने की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को राफेल पर बहस की चुनौती दी है। हम चाहते हैं कि मोदी जी राहुल गांधी की चुनौती स्वीकार करें। वह राफेल, व्यापम, भ्रष्टाचार, किसान एवं रोजगार, देश में फैली अफरा-तफरी, गिरती अर्थव्यवस्था पर और नफरत के माहौल पर बहस करें।’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता दिवस का मोदी जी का आखिरी भाषण खोखला साबित हुआ। प्रधानमंत्री न राफेल पर बोले, न व्यापम पर बोले, न छत्तीसगढ़ के पीडीएस घोटाले पर बोले। देश में नफरत का माहौल फैलाया जा रहा है, उस पर भी वह कुछ नहीं बोले। चीन और पाकिस्तान आंखे दिखा रहे हैं, इस पर वह कुछ नहीं बोले।’’

उन्होंने कहा, ‘‘काश, मोदी जी अपने भाषण में सच्चाई बोल पाते। इस देश में अच्छे दिन आए नहीं, लेकिन देश को सच्चे दिन का इंतजार है। ये सच्चे दिन उस वक्त आएंगे जब मोदी जी जाएंगे।’’

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