2 अक्टूबर विशेष : गाय के बारे में गांधीजी के ये विचार दर्शाते थे उनकी गौरक्षा की भावना
By: Ankur Tue, 02 Oct 2018 09:25:49
अभी के दिनों में गौरक्षको का मुद्दा अब राजनितिक मुद्दा बन चुका हैं। गौरक्षा के नाम पर देश में कई हत्याएं हो चुकी हैं और जिनको संज्ञान में लेना बहुत जरूरी हैं। क्योंकि ये घटनाएं अनैतिक और कानून के विरूद्ध हैं। यहाँ तक कि गौरक्षा के नाम पर जाति विशेष को निशाना बनाया जा रहा हैं। ऐसे में गौरक्षकों को भी बड़ी सूझबूझ के साथ काम लेने की जरूरत हैं। गांधी जी भी गौरक्षक थे, उन्होंने 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय अपने भाषण में गाय के बारे में विचार व्यक्त किये थे। आज हम आपको भाषण के उसी अंश को लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं क्या कहा था गांधीजी ने गाय के बारे में।
गांधी जी ने कहा था कि मैं गौ पूजक हूं। फिर आज ऐसा क्या हो गया कि आज मैं मुसलमानों के लिए शैतान और अरुचिकर हो गया। क्या खिलाफत आंदोलन की हिंदू-मुस्लिम एकता मैंने किसी फरसे के जोर पर हासिल की थी। सच्चाई यह है कि मेरा अंतरात्मा कहती है कि ऐसा करने से मैं गोरक्षा भी कर सकूंगा। गांधी जी ने कहा था कि मैं यह मानता हूं कि मैं और गाय एक ही ईश्वर की संतान हैं।
गायों के प्राणों की रक्षा के लिए मैं अपने प्राण न्योछावार करने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि आज अली बंधु जीवित होते तो वे मेरी बात की सच्चाई के सबूत देते और बहुत से लोग यह भी बताते की मैंने यह काम गाय का जीवन बचाने के लिए मोलभाव के तौर पर नहीं किया था। गाय और खिलाफत दोनों का महत्व उनके अपने गुणों के आधार पर है।
बापू ने अपने भाषण में जहां खुद को सच्चा गौरक्षक बताया तो वहीं मोहम्मद अली जिन्ना के लिए कड़े शब्दों का प्रयोग किया था। उन्होंने खुद को दलित रक्षक बताते हुए दलित हितों के लिए काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई थी।