अयोध्या पर फाइनल बहस आज! CJI ने दिए संकेत

By: Pinki Wed, 16 Oct 2019 08:39:24

अयोध्या पर फाइनल बहस आज!  CJI ने दिए संकेत

दशकों से चल रहा अयोध्या का रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अब फैसले की घड़ी करीब आ गई है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस विवाद पर आखिरी बहस होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कल यानि बुधवार को अयोध्‍या विवाद मामले में वह सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेंगे। इसके लिए उन्‍होंने दोनों पक्षाों को दलील देने के लिए कहा है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ऐसे संकेत दिए थे कि 16 अक्टूबर को सुनवाई खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में आज हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा के वकील अपनी अंतिम दलील देंगे। बुधवार को हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन को बहस के लिए 45 मिनट मिलेंगे, इसके अलावा हिंदू पक्षकारों के अन्य वकीलों को भी इतना ही समय मिलेगा। बाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को जवाब देने के लिए 1 घंटे का समय मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट में इस विवाद की सुनवाई अंतिम दौर में पहुंचते ही अयोध्या में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। अयोध्या जिले में 10 दिसंबर तक धारा 144 लगा दी गई है, इसके अलावा शहर में संतों का पहुंचना शुरू हो गया है। अयोध्या में किसी तरह से हालात ना बिगड़े इसके लिए सुरक्षाबल भी मुस्तैद हैं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच न्‍यायाधीशों की संविधान पीठ 39 दिनों से राम जनमभूमि-बाबरी मस्जिद के मुकदमे की सुनवाई कर रही है। इससे पहले 18 अक्‍टूबर को दलीलें खत्‍म करने की समय सीमा तय की गई थी। लेकिन सीजेआई ने मंगलवार को संकेत दिए हैं कि गुरुवार की बजाय बुधवार को सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेंगे।

वहीं मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष ने दलील दी कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण करके मुगल शासक बाबर द्वारा की गयी ऐतिहासिक भूल को अब सुधारने की आवश्यकता है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने एक हिंदू पक्षकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल और सीनियर वकील के। परासरन ने कहा कि अयोध्या में अनेक मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते। सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य के वाद में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से बहस करते हुए परासरन ने कहा कि सम्राट बाबर ने भारत पर जीत हासिल की और उन्होंने खुद को कानून से ऊपर रखते हुए भगवान राम के जन्म स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करके ऐतिहासिक भूल की। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर का कोई सबूत नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग भी यह साबित नहीं कर पाया है। राम चबूतरे का भी कहीं कोई साक्ष्य नहीं है कि ये कब अस्तित्व में आया। मस्जिद के संबंध में ऐसे साक्ष्य हैं। राम चबूतरा हिंदुओं के कब्जे में 1721 से है।

अयोध्या विवाद : 1526 से अब तक

1526 : इतिहासकारों के मुताबिक, बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने 1526 में भारत आया था। उसका एक जनरल अयोध्या पहुंचा और उसने वहां मस्जिद बनाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया।

1853 : अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। हिंदू समुदाय ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई।

1885 : फैजाबाद की जिला अदालत ने राम चबूतरे पर छतरी लगाने की महंत रघुबीर दास की अर्जी ठुकराई।

1949 : विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई।

1950 : हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की।

1959 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया।

1961 : सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई और मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।

1981 : उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जमीन के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।

1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा।

1992 : अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया।

2002 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।

2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत मांगी।

2018 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

6 अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जज एस ए बोबडे, जज धनन्जय वाई चंद्रचूड़, जज अशोक भूषण और जज एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

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